नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद से सियासी हलचल तेज है। राजनीतिक दलों के नेता दिल्ली का रण जीतने के लिए मतदाताओं को लुभा रहे हैं। इस चुनाव में राजौरी गार्डन एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। राजौरी गार्डन विधानसभा सीट वेस्ट दिल्ली जिले में आती है। 2015 में इस सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा था। हालांकि, 2013 में इस सीट पर शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा ने जीत दर्ज की थी। वहीं, 2008 में इस पर कांग्रेस का कब्जा था। 2008 में कांग्रेस से दयानंद चंदेला ने जीत हासिल की थी। भाजपा और कांग्रेस पार्टी चाहेगी कि इस बार ये सीट जीते।
आइए जानते हैं, क्या है इस सीट का समीकरण। राजौरी गार्डन सीट से आम आदमी पार्टी ने 2015 में जरनैल सिंह को मैदान में उतारा और जीत हासिल की। हालांकि, 2017 के उपचुनाव में इस सीट पर भाजपा के मनजिंदर सिंह सिरसा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद आप ने 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में धनवती चंदेला को राजौरी गार्डन सीट से मैदान में उतारा था और उन्होंने जीत दर्ज की थी। 2020 में भाजपा के रमेश खन्ना राजौरी गार्डन सीट से मैदान में थे। आप उम्मीदवार धनवती चंदेला ने उन्हें 22,972 मतों से हराया था। भाजपा ने इस बार राजौरी गार्डन सीट से मनजिंदर सिंह सिरसा को मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर से इस सीट से धनवती चंदेला पर भरोसा जताया है। वहीं, भाजपा ने मनजिंदर सिंह सिरसा और कांग्रेस ने धर्मपाल चांडेल को मैदान में उतारा है।
ऐसा बताया जा रहा है कि इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। क्योंकि आप पार्टी अपनी जीत की लय बरकरार रखना चाहेगी और भाजपा-कांग्रेस आप को हराकर इस सीट पर जीत दर्ज करने की कोशिश करेगी। हालांकि, इस बार राजौरी गार्डन विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को ही तय करना है। राजौरी गार्डन विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या एक लाख 70 हजार से अधिक है। यहां पुरुष मतदाता 89,961, महिला मतदाता 82,913 और थर्ड जेंडर वोटर 1 है। यहां कुल वोटरों की संख्या 1,72,875 है। बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान 5 फरवरी को सिंगल फेज में होगा। चुनाव आयोग के मुताबिक कुल 83,49,645 पुरुष, 71,73,952 महिला और 1,261 थर्ड जेंडर को मिलाकर कुल 1.55 करोड़ मतदाता अपने बहुमूल्य अधिकार का प्रयोग करेंगे। नतीजे का ऐलान 8 फरवरी को होगा। चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही दिल्ली में ‘आदर्श आचार संहिता’ लागू हो गई है, जिसके तहत सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता और चुनावी रैलियों के लिए पुलिस की अनुमति अनिवार्य है।