लखनऊ। उप्र की 69 हजार शिक्षक भर्ती में शामिल आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का धरना लगातार दूसरे दिन बुधवार को भी जारी है। अभ्यर्थी हाईकोर्ट लखनऊ के डबल बेंच से दिए गए फैसले का पालन किए जाने मांग को लेकर बेसिक शिक्षा निदेशालय के सामने धरने पर बैठे हैं।
अभ्यर्थियों का कहना है कि हाई कोर्ट का जो फैसला आया है, सरकार उसे जल्द से जल्द लागू करें। आरक्षित वर्ग अभ्यर्थियों को न्याय देते हुए उनकी नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करें। अभ्यर्थियों का कहना है दूध की रखवाली बिल्ली से नहीं कराई जा सकती। इसलिए पुरानी सूची बनाने वाले अधिकारियों को हटाकर नए अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जाएं। नई सूची बनाकर सभी की नियुक्ति की जाए।
धरना प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल ने बताया कि वर्ष 2018 में यह भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। जब इसका परिणाम आया तो इसमें व्यापक स्तर पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया और उन्हें नौकरी देने से वंचित कर दिया गया। एक लंबे आंदोलन और न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद अब लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया है और नियमों का पालन करते हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया है। लेकिन सरकार इस प्रकरण में हीला हवाली कर रही है। हम चाहते हैं कि सरकार जल्द से इस प्रकरण का समाधान करें और एक शेड्यूल जारी करके बताएं कि हम पीड़ितों की नियुक्ति कब की जा रही है।
पटेल ने कहा कि, कोर्ट ने 69 हजार शिक्षक भर्ती मूल चयन सूची रद्द करते हुए सरकार को तीन महीने के अंदर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई सूची जारी करने का आदेश दिया है। लेकिन सरकार ने अभी तक कोई काम शुरू नहीं किया है, केवल एक मीटिंग की है। हमारी मांग है कि सरकार हमारी चयन संबंधित प्रकिया का कार्यक्रम शेड्यूल जारी कर दे।