Monday, December 23, 2024

आप ने जालंधर लोस सीट चुनाव में ध्वस्त किया कांग्रेस का गढ़, सुशील रिंकू की बड़ी जीत

जालंधर। पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट के लिये गत 10 मई को हुये उपचुनाव की शनिवार को हुई मतगणना में राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी(आप) उम्मीदवार सुशील कुमार रिंकू ने कांग्रेस का गढ़ ध्वस्त करते हुये ऐतिहासिक जीत दर्ज की है।

अंतिम चुनाव परिणामों के अनुसार श्री रिंकू ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस की करमजीत कौर चौधरी को 58691 मतों के अंतर से पराजित किया। उन्हें जीत का ऐलान होने से पहले ही बढ़त को देखते हुये बधाइयां मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने जीत का जश्न मनाया और लड्डू बांटे।

आज सुबह मतगणना शुरू होते रिंकू ने बढ़त ले ली थी। उनके साथ दूसरे नम्बर पर कांटे की टक्कर में कांग्रेस की करमजीत कौर चौधरी चल रहीं थी। मतगणना के दौर बढ़ने के साथ रिंकू की न केवल बढ़त कायम रही बल्कि कांग्रेस उम्मीदवार के पिछड़ने का अंतर भी बढ़ता गया। इस दौरान तीसरे नम्बर चल रहे शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन उम्मीदवार डाॅ सुखविंदर सुक्खी एक समय चौथे स्थान पर खिसक गये लेकिन जल्द ही उन्होंने भाजपा उम्मीदवार इंदर इकबाल सिंह अटवाल को पीछे छोड़ कर पुन: तीसरा स्थान हासिल कर लिया लेकिन इससे आगे नहीं बढ़ सके।

रिंकू ने को डाक मतपत्रों के अलावा 302097 मत जबकि श्रीमती चौधरी को 243450 मत मिले। डा. सुक्खी 158354 मत लेकर तीसरे स्थान पर तथा श्री अटवाल 134706 मतों के साथ चौथे स्थान पर रहे। आप, कांग्रेस, शिअद और भाजपा को इस उपचुनाव में क्रमश: 34.05, 27.44, 17.85 और 15.19 प्रतिशत मत मिले हैं।

डाॅ सुक्खी दो बार के विधायक और पेशे से डॉक्टर हैं। रिंकू चुनाव से ऐन पहले ही कांग्रेस छोड़ कर आप में शामिल हुये थे। इंदर इकबाल सिंह अटवाल, राज्य के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चरणजीत सिंह अटवाल के पुत्र हैं। अब उनके पिता भी शिअद को अलविदा कह कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने रिंकू भारी जीत पर प्रतिक्रिया में कहा कि लोगों ने हमारे कामों को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने गंदी राजनीति की लेकिन आप ने हमेशा लोगों की भलाई के लिए काम किया। उन्होंने जालंधर लोकसभा उपचुनाव में जीत के बाद श्री केजरीवाल से दिल्ली स्थित उनके आवास पर मुलाकात कर उन्हें बधाई दी।

आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में पत्रकारवार्ता कर जालंधर उपचुनाव में जीत के लिए लोगों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि जालंधर के जनादेश ने यह बता दिया कि पंजाब की जनता राज्य की आप सरकार के काम से संतुष्ट भी है और खुश भी। उन्होंने कहा कि 2022 के चुनावों में जब पंजाब में आप की लहर थी उस समय पार्टी ने जालंधर की नौ में से चार विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन इस उपचुनाव में इन नौ में से सात सीटों पर आप को बढ़त मिली है। 2019 में पार्टी को जालंधर लोकसभा सीट पर सिर्फ 2.5 फीसदी वोट मिले थे, आज 34 फीसदी से अधिक वोट मिले हैं।

पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, राजस्व मंत्री ब्रह्म शंकर जिम्पा और स्थानीय निकाय मंत्री डाॅ इंदरबीर सिंह निज्जर, कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने जालंधर लोकसभा उपचुनाव में पार्टी की जीत पर खुशी जाहिर की है। इन्हें कहा कि वे जालंधर के लोगों का धन्यवाद करना चाहते हैं जिन्होंने पार्टी के लिए वोट किया और इसके उम्मीदवार को भारी मतों से जिताया।

इस उपचुनाव में हार स्वीकार करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने ट्वीट कर कहा,“ हम जनता का जनादेश विनम्रता से स्वीकार करते हैं। मैं पार्टी कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों, समर्थकों और सभी को धन्यवाद देता हूँ। मैं सुशील रिंकू और आप पार्टी को जीत की बधाई देता हूँ। ”

करमजीत कौर कांग्रेस के दिवंगत सांसद संतोख सिंह चौधरी की पत्नी हैं। श्री चौधरी का गत जनवरी में पार्टी नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उनके ही निधन से रिक्त हुई इस सीट पर उपचुनाव कराया गया है। कांग्रेस ने इस उपचुनाव में उनकी पत्नी को टिकट दिया था।

मतगणना कपूरथला रोड स्थित निदेशक भू-अभिलेख एवं स्पोर्ट्स कॉलेज परिसर में हुई जिसके लिये सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गये थे। इस सीट के लिए चुनाव मैदान में कुल 19 उम्मीदवार थे लेकिन मुख्य मुकाबला आप, कांग्र्रेस, शिअद और भाजपा उम्मीदवारों के बीच था लेकिन मतगणना जैसे जैसे आगे बढ़ती गई तो यह मुकाबला आप और कांग्रेस के बीच सिमटता गया तथा शिअद और भाजपा काफी पिछड़ गये। चारों दलों के लिये यह चुनाव प्रतिष्ठा की कसौटी था।

भाजपा के लिये पंजाब में सियासत के लिए यह उपचुनाव काफी अहम था। उसने 1997 के बाद पहली बार शिअद से अलग होकर यह चुनाव लड़ा। कांग्रेस के लिये अपना गढ़ बचाना चुनौती थी। वह 1999 से लगातार यहां से जीतती रही।

यह उपचुनाव लगभग एक साल पुरानी भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार के कार्य प्रदर्शन की परीक्षा के रूप में भी देखा जा रहा था जो मुफ्त बिजली, युवाओं को रोजगार, ठेका कर्मचारियों को नियमित करने तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई जैसे अनेक मुद्दों पर सक्रियता से कार्रवाई करने के वादे के साथ सत्ता में आयी थी। इस उपचुनाव में उसके कामों पर जनता ने अपनी मुहर लगा दी है।

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