Wednesday, May 8, 2024

राजनाथ की तल्खी के बावजूद चीनी रक्षा मंत्री ने की भारत से संबंध सुधारने की वकालत

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नई दिल्ली। गलवान घाटी की हिंसक घटना के बाद पहली बार भारत आये चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू ने भारत से संबंध सुधारने की वकालत की है। हालांकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक से पहले उनसे हाथ न मिलाकर तल्खी दिखाई, लेकिन दोनों मंत्रियों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के साथ-साथ द्विपक्षीय संबंधों के विकास के बारे में खुलकर चर्चा की।

दरअसल, किसी भी देश के साथ द्विपक्षीय बैठक से पहले हाथ मिलाते हुए फोटो खिंचवाने की परंपरा है, जिसे हैंड शेकिंग कहा जाता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष ली के साथ द्विपक्षीय बैठक से पहले हाथ नहीं मिलाया, जबकि उन्होंने द्विपक्षीय बैठक से पहले ताजिक, ईरानी और कज़ाख समकक्षों के साथ हाथ मिलाया। राजनाथ के हैंड शेकिंग न करने को चीन के साथ तीन साल से चल रहे गतिरोध के मद्देनजर तल्खी के रूप में देखा जा रहा है। बैठक में ली ने कहा कि चीन-भारत सीमा आमतौर पर स्थिर है और दोनों पक्षों ने सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से संचार बनाए रखा है।

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चीनी रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों और एक दूसरे के विकास को एक व्यापक, दीर्घकालिक और सामरिक दृष्टिकोण से देखकर संयुक्त रूप से विश्व और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों में उचित स्थिति में रखना चाहिए और सामान्य प्रबंधन के लिए सीमा की स्थिति के संक्रमण को बढ़ावा देना चाहिए। ली ने उम्मीद जताई कि दोनों पक्ष दोनों सेनाओं के बीच आपसी विश्वास को लगातार बढ़ाने और द्विपक्षीय संबंधों के विकास में उचित योगदान देने के लिए मिलकर काम करेंगे।

द्विपक्षीय बैठक में राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भारत और चीन के बीच संबंधों का विकास सीमाओं पर शांति के प्रसार पर आधारित है। उन्होंने कहा कि एलएसी पर सभी मुद्दों को मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रतिबद्धताओं के अनुसार हल करने की आवश्यकता है। सिंह ने दोहराया कि मौजूदा समझौतों के उल्लंघन ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे आधार को नष्ट कर दिया है और सीमा पर पीछे हटने का तार्किक रूप से डी-एस्केलेशन के साथ पालन किया जाएगा। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन और पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि भारत अपने प्रमुख पड़ोसी देशों के साथ मतभेदों की तुलना में कहीं अधिक हित साझा करता है।

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