नोएडा। जिलाधिकारी के निर्देश पर बृहस्पतिवार को जिला कार्यक्रम अधिकारी पूनम तिवारी ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भंगेल स्थित पोषण पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी) का निरीक्षण किया। उन्होंने मौजूद स्टाफ से बच्चों की देखभाल के बारे में बातचीत की और कहा कि किसी भी स्तर पर बच्चों के उपचार में कमी न रहने पाये। एनआरसी में दस गंभीर तीव्र अतिकुपोषित (सैम) बच्चे भर्ती मिले।
गौरतलब है कि पिछले दिनों पोषण समिति की बैठक में जिलाधिकारी मनीष वर्मा ने बच्चों के पोषण और देखभाल को लेकर संबंधित अधिकारियों को विशेष निर्देश दिये थे। उनका निर्देश है कि किसी भी सूरत में कोई भी अतिकुपोषित बच्चा अनदेखी का शिकार न होने पाये। कोशिश करें कि पोषण पुनर्वास केन्द्र में सभी बेड इस्तेमाल हों और बच्चों को उचित उपचार मिले। जिला कार्यक्रम अधिकारी पूनम तिवारी ने बृहस्पतिवार को इसी क्रम में एनआरसी का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सीएचसी भंगेल के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. यतेन्द्र सिंह, एनआरसी की इंचार्ज डा. साधना, डाइटीशियन सचिन मलिक, स्टाफ नर्स प्रीति राय भी मौजूद रहीं।
निरीक्षण के दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी ने भर्ती बच्चों के अभिभावकों से बातचीत भी की और केन्द्र पर उपलब्ध सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। उन्होंने बच्चों का उपचार करा रहे सलारपुर निवासी इंद्रपाल व दीपू से पूछा कि उन्हें यहां किसी भी तरह की कोई दिक्कत तो नहीं है। सभी ने संतुष्टि जाहिर की। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि यहां से जाने के बाद घर पर भी बच्चों का विशेष ख्याल रखें और चिकित्सक की ओर से मिले परामर्श के अनुसार ही पोषण और दवा देते रहें। किसी भी तरह की परेशानी आने पर वह उनसे बात कर सकते हैं।
इस वक्त एनआरसी में दस बच्चे उपचाराधीन भर्ती हैं। इस माह 16 बच्चों को भर्ती कराया जा चुका है। पिछले दिनों ठीक हुए छह बच्चे घर भेजे जा चुके हैं। पूनम तिवारी ने बताया बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग बच्चों के पोषण को लेकर बेहद गंभीर है। विभाग की ओर से संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है। गंभीर तीव्र अतिकुपोषित (सैम) बच्चों को स्वास्थ्य विभाग की मदद से एनआरसी में भर्ती कराकर उनका उपचार कराया जाता है। उन्होंने बताया इस वक्त भर्ती दस बच्चों में सात को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने भर्ती कराया है। एक बच्चा सीधे ओपीडी के माध्यम और दो बच्चे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के माध्यम से भर्ती कराए गये हैं।
उन्होंने बताया एनआरसी में सैम बच्चों को भर्ती कर उपचार किया जाता है और जरूरत के हिसाब से उन्हें पोषण उपलब्ध कराया जाता है। 14 दिन के उपचार के बाद उन्हें घर भेज दिया जाता है।