पटना। पटना हाई कोर्ट ने सोमवार को शराबबंदी कानून की गलत व्याख्या और दुरुपयोग पर नाराजगी जताई है। हाई कोर्ट ने शराबबंदी के प्रावधानों को नजरअंदाज करने पर बेगूसराय डीएम को कई कड़े निर्देश दिए हैं।
पटना हाई कोर्ट ने महज एक साल पुरानी कार से मिली 200 मिली लीटर विदेशी शराब बरामदगी मामले में गाड़ी नीलाम करने पर सख्ती दिखाई है। सोमवार को न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने इस मामले में बेगूसराय के डीएम को दो महीने के भीतर गाड़ी की बीमा राशि के बराबर रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने शराबबंदी कानून के नियम 14 (बी) और धारा 92 तथा संविधान के अनुच्छेद 300 (ए) को नजरअंदाज करने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि शराबबंदी कानून में जब्त गाड़ी को नीलाम करने के पूर्व उसे छोड़ने के लिए किए गए कानूनी प्रावधानों को देखे बिना ही गाड़ी नीलाम किया जाना संदेह के घेरे में है। ऐसे करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
इस मामले में पटना हाई कोर्ट ने जल्दबाजी में वर्ष 2020 मॉडल की नई कार नीलाम कर बेचने पर बेगूसराय डीएम को एकमुश्त पचास हजार रुपये देने का आदेश भी दिया गया है। दोनों राशि तय समय के भीतर नहीं दिए जाने पर 12 प्रतिशत सालाना ब्याज दर से भी देना होगा। हाई कोर्ट ने नई कार को नीलाम करने को संदेह की भावना पैदा करने की बात कह पूरे मामले को मुख्य सचिव को अपने स्तर से गौर करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने इसके साथ ही नीलामी में कार खरीदने वाले व्यक्ति की पहचान करने की जिम्मेदारी भी डीएम को सौंपी है।
हाई कोर्ट ने दोषी पाये अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का आदेश भी दिया है। यह पता लगाया जाएगा कि किसी व्यक्ति को लाभ दिलाने के लिए आनन फानन में और नई गाड़ियों की नीलामी तो नहीं की गई।
उल्लेखनीय है कि यह मामला बेगूसराय जिले का है, जहां सुरक्षाबलों ने चेकिंग के दौरान एक कार से दो सौ मिलीलीटर विदेशी शराब बरामद की थी। साथ ही सिगरेट का एक पैकेट, पांच प्लास्टिक ग्लास, दो माचिस के डिब्बी, एक नमकीन का पैकेट और गुटखा का एक पैकेट बरामद हुआ था। इसके बाद कार को जब्त कर लिया गया था और बाद में उसे नीलाम कर दिया था।