Friday, November 15, 2024

नोएडा में डीएम की सख्ती का हुआ असर, स्कूलों ने फीस समायोजित करने की दे दी जानकारी

नोएडा। जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति की ओर से 1 लाख रुपये के जुर्माने लगाए जाने का पता चलते ही एकाएक निजी स्कूलों के प्रबंधक हरकत में आ गए। आज सुबह तक 100 से ज्यादा स्कूलों ने जिला शुल्क नियामक समिति को विद्यार्थियों की फीस समायोजित करने या वापस करने की पूरी जानकारी जिला प्रशासन को उपलब्ध करा दी।

स्कूल प्रबंधकों ने समिति के सचिव और जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. धर्मवीर को इस बाबत सूचित कर दिया है। आज सुबह तक जानकारी देने वाले स्कूलों की संख्या बढ़ती रही। स्कूलों में मनमानी फीस बढ़ाने का मामला हो, आरटीई का मसला हो या उच्च न्यायालय की ओर से 15 प्रतिशत फीस विद्यार्थियों को लौटाने की बात। जिले के ज्यादातर स्कूल प्रबंधक अपनी मनमानी करते आए हैं।

आरटीई के अंतर्गत पिछले आठ वर्षों से स्कूलों से अभिभावकों और विद्यार्थियों को गेट से लौटाया जा रहा है। कई बार शिक्षा अधिकारियों के कॉल करने के बाद भी स्कूल प्रशासन कार्रवाई नहीं करते। इसका खामियाजा जरूरतमंद बच्चों भुगतना पड़ता रहा है।

आपको बता दे कि नोएडा प्रशासन ने प्राइवेट स्कूलों पर बड़ा एक्शन लिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद फीस वापस नहीं करने पर 50 से ज्यादा स्कूलों पर 1-1 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया गया था । डीएम मनीष कुमार वर्मा ने कहा था कि स्कूलों के पास 30 दिन का समय है, अगर अभिभावकों को फीस वापस नहीं की गई, तो यही जुर्माना 5-5 लाख रुपए का कर दिया जाएगा। इसकी वसूली भी स्कूलों से होगी। बता दें कि 2 दिन पहले उत्तराखंड पब्लिक स्कूल पर फीस को लेकर प्रिंसिपल और अभिभावकों के बीच गहमा-गहमी हो चुकी है। बकाया के चलते स्कूल सील की कार्रवाई भी हो चुकी है।

ये पूरा मामला कोरोना कॉल में सत्र 2021-22 में ली गई फीस से जुड़ा हुआ है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि सभी स्कूल कोरोना काल सत्र 2021-22 में ली गई फीस का 15 प्रतिशत अभिभावकों को वापस करेंगे। आदेश के बाद भी स्कूल प्रबंधन द्वारा पालन नहीं किया जा रहा था। कुछ स्कूलों ने जवाब में कहा है कि कोरोना काल में उन्होंने अभिभावकों को स्वयं अपनी तरफ से 20 से 30 प्रतिशत की छूट दी थी, ऐसे में उस छूट को न्यायालय के आदेश में शामिल किया जाए।

इस संबंध में जिलाधिकारी ने शासन को पत्र लिखकर जानकारी मांगी। अब ये मामला डीएम के एक आदेश के बाद गरमा गया है। इसमें आदेश के बाद भी जिन स्कूलों ने अभिभावकों को 15 प्रतिशत पैसा वापस नहीं किया था उसमें से लगभग 50 से अधिक स्कूलों पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाया गया है। जिलाधिकारी ने आदेश में कहा कि स्कूलों को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए।

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