रांची| ईडी झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग में भ्रष्टाचार के महीन धागे खोल रही है और इस दौरान एक से बढ़कर एक चौंकाने वाली कहानियां सामने आ रही हैं। अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि विभाग के चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम और उनके करीबियों ने 200 करोड़ से भी अधिक रकम के वारे-न्यारे किए हैं। फर्जी पैन कार्ड के जरिए मुखौटा कंपनियां बनाने से लेकर चल-अचल संपत्तियों की खरीदारी में करोड़ों कैश के आदान-प्रदान तक की जानकारी ईडी के हाथ लगी है।
इस बीच रांची स्थित पीएमएलए कोर्ट ने ईडी की दरख्वास्त पर मंगलवार को चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम की रिमांड अवधि और चार दिनों के लिए बढ़ा दी है। इसके पहले पांच दिन की रिमांड दी गई थी, जिसकी अवधि आज पूरी हो रही थी।
ईडी ने कोर्ट को बताया कि पांच दिनों की पूछताछ में वित्तीय भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग के बारे में जो बातें सामने आई हैं, उनके सत्यापन और अन्य महत्वपूर्ण सूचनाएं हासिल करने के लिए बीरेंद्र राम से अभी कई बिंदुओं पर पूछताछ जरूरी है। इधर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर बीरेंद्र राम को सस्पेंड करने का आदेश जारी कर दिया गया है।
ईडी की जांच में पता चला है कि बीरेंद्र राम के पिता गेंदा राम के खाते में तीन ऐसी कंपनियों के अकाउंट से 4.29 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए, जो फर्जी पैन नंबरों और आधार कार्ड के आधार पर खोले गए थे। सचिन गुप्ता नामक एक व्यक्ति के नाम पर तीन फर्जी पैन कार्ड बनाए गए और उनके आधार पर बैंक खाते खोलकर करोड़ों की रकम इधर-उधर की गई।
ईडी ने यह भी पता लगाया है कि बीरेंद्र राम ने दिल्ली के छतरपुर, डिफेंस कॉलोनी और साकेत में मकान और प्रॉपर्टी खरीदने के दौरान 30 करोड़ से भी ज्यादा की रकम का भुगतान कैश में किया। ये प्रॉपर्टीज उसने अपनी पत्नी और पिता के नाम पर खरीदी थी।
बीरेंद्र राम ने ईडी को बताया है कि विभिन्न योजनाओं और टेंडर में कमीशन में मंत्रियों और कई अफसरों का हिस्सा तय रहता था। कोई भी टेंडर कमीशन की शर्तें तय किए बगैर फाइनल नहीं होता था। बीरेंद्र राम ने यह भी स्वीकार किया है कि उसे दो ठेकेदारों ने महंगी गाड़ियां गिफ्ट की हैं। इन दोनों ठेकेदारों को ईडी ने समन किया है। जल्द ही कुछ और लोगों को पूछताछ के लिए समन भेजने की तैयारी चल रही है।