Friday, September 20, 2024

या तो भारत में विलय होगा या पाकिस्तान हमेशा के लिए समाप्त होगा-योगी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में कहा कि देश आज इतिहास के काले अध्यायों का स्मरण कर रहा है। इतिहास केवल अध्ययन का विषय नहीं होता है बल्कि वह गलतियों के परिमार्जन और गौरवशाली क्षणों से प्रेरणा ग्रहण करने का संकल्प होता है। आखिर क्या कारण था कि हजारों वर्षों से सनातन राष्ट्र रहा भारत गुलाम हुआ। विदेशी आक्रांताओं ने यहां की परंपरा-संस्कृति को रौंदा और देश को गुलाम बनाया गया। क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने देश को स्वतंत्र कराने की दिशा में विदेशी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ आजादी की लड़ाई लड़ी थी। जब उसकी पूर्णता का समय आया तो इस सनातन राष्ट्र को विभाजन की त्रासदी का सामना करना पड़ा।

मुख्यमंत्री योगी ने लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि जो किसी युग में नहीं हुआ, वह कांग्रेस की सत्ता के प्रति अभिलिप्सा ने विभाजन की त्रासदी के रूप में प्रस्तुत किया और स्वतंत्र भारत को ऐसा नासूर दे दिया, जिसका दंश आज भी भारत आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के रूप में झेल रहा है। यदि तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व ने दृढ़ता का परिचय दिया होता तो दुनिया की कोई ताकत इस अप्राकृतिक विभाजन को मूर्त रूप नहीं दे पाती। येन-केन प्रकारेण सत्ता प्राप्त करने के लिए कांग्रेस ने देश को दांव पर लगा दिया गया। 1947 और इसके बाद से यह लगातार हो रहा है। जब भी इनके हाथ में सत्ता में आई, इन लोगों ने देश की कीमत पर राजनीति की। इसकी कीमत जनता को लंबे समय तक चुकानी पड़ी है। विभाजन की दुर्भाग्यपूर्ण त्रासदी हम सबको उन्हीं गलतियों की परिमार्जन की तरफ ध्यान आकृष्ट करती है। कार्यक्रम में विभाजन विभीषिका पर आधारित लघु फिल्म के जरिए आमजन का दर्द दिखाया गया।

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उन्होंने कहा कि भारत बल-बुद्धि, विद्या में दुनिया का नेतृत्व करने का सामर्थ्य रखता था। 16वीं सदी तक भारत का वैभव दुनिया में अग्रणी था। दुनिया की अर्थव्यवस्था के आधे भाग का नेतृत्व अकेले भारत करता था। यह तब था, जब देश कई सौ वर्षों तक लगातार विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण को झेल रहा था। 14 अगस्त 1947 को देश के विभाजन की त्रासदी हो रही थी। 15 अगस्त 1947 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस नेता आजादी का जश्न मना रहे थे, तब लाखों लोग अपनी मातृभूमि व परिवार को छोड़ने को मजबूर हो रहे थे। उस समय के अमानवीय अत्याचार किसी से छिपे नहीं हैं। दुनिया का सबसे समृद्धतम देश 1947 तक आते-आते दरिद्र देश में बदल गया था। हमारी कुछ कमजोरियों ने आक्रांताओं को देश के अंदर आक्रमण करने के लिए स्थान दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जो गलतियां इतिहास के काले अध्याय के रूप में हमारे सामने कैद हैं, वही गलतियां चुनाव के समय राजनीतिक दल करते हैं। जो पहले जातिवाद के नाम पर होता था, वही कारनामे आज राजनीतिक दलों के स्तर पर किए जा रहे हैं। जातीयता का नग्न तांडव करके उसी विभाजन की ओर ले जाने की कुत्सित चेष्टा की जा रही है। परिणाम फिर वही है। चेहरे- तिथि बदली है, लेकिन घटनाओं का स्वरूप वही है। वर्ष 1947 के पहले महर्षि अरविंद ने उद्घोषणा की थी कि आध्यात्मिक जगत में पाकिस्तान कोई वास्तविकता नहीं है। उसका भारत में विलय होगा या पाकिस्तान हमेशा के लिए समाप्त होगा। आध्यात्मिक जगत में जिसका वास्तविक अस्तित्व नहीं है, उसे नष्ट ही होना है। जाति, क्षेत्रीय, भाषाई विभाजन से उबरकर हमें राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ कार्य करना होगा।

बांग्लादेश में अस्मिता बचाने को चिल्ला रहे अल्पसंख्यक हिंदू

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आभारी हैं, जिन्होंने इतिहास के काले अध्यायों से पर्दा उठाकर गलतियों के परिमार्जन के लिए रास्ता बनाने का आह्वान किया है। हमें इसी आह्वान के साथ जुड़ना है। जो 1947 में हुआ, वही आज पाकिस्तान और बांग्लादेश में हो रहा है। उस समय 10 लाख हिंदू-सिख काटे गए थे, आज भी वही आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट, बहन-बेटियों संग अत्याचार, त्रासदी का दृश्य देख रहे हैं। डेढ़ करोड़ हिंदू बांग्लादेश में आज अस्मिता बचाने को चिल्ला रहे हैं। दुनिया और भारत के कथित सेक्युलरिस्ट के मुंह आज भी सिले हैं, क्योंकि इन्हें वोट बैंक की चिंता है। इनकी मानवीय संवेदना मर चुकी है। इन्होंने आजादी के बाद बांटो और राज करो की राजनीति को प्रोत्साहित किया है। इन लोगों ने अंग्रेजों से सत्ता प्राप्त की लेकिन यह भारत की सत्ता का नेतृत्व नहीं कर रहे थे बल्कि अंग्रेजों के मानस पुत्रों के रूप में इन्होंने सत्ता का संचालन किया। उसी का दुष्परिणाम अखंड हिंदुस्तान ने चुकाया है।

उन्होंने कहा कि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र ही नहीं है बल्कि यह लोकतंत्र की जननी भी है। भारत ने नागरिकों को जितनी स्वतंत्रता दी है, ऐसी स्वतंत्रता किसी भी देश में नहीं है। हमें संविधान पर गौरव और इसके निर्माताओं के प्रति सम्मान का भाव प्रकट करना चाहिए। सरदार वल्लभ भाई पटेल की दृढ़ता का सम्मान और बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर को शत-शत नमन करना चाहिए, जिन्होंने अपनी पीड़ा को दबाने के बावजूद हमें संविधान प्रदान किया। भारत की आजादी के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले नायकों के प्रति श्रद्धा का भाव व्यक्त करना होगा।

विभाजन त्रासदी के लिए कांग्रेस जिम्मेदार

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दस वर्ष में भारत की प्रगति दुनिया को अचंभित करती है। भारत सुरक्षित है तो विश्व मानवता सुरक्षित है। दस वर्ष पहले भारत दसवीं, आज पांचवीं और अगले तीन वर्ष के अंदर भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। जाति, क्षेत्र, भाषा के नाम पर विभाजन करने वाले उन ताकतों से सतर्क रहकर एक भारत, श्रेष्ठ भारत के बारे में सोचना होगा। विभाजन त्रासदी के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। इस त्रासदी और समय-समय पर धोखे के लिए कांग्रेस जनता से माफी नहीं मांगेगी। कांग्रेस को जब भी अवसर मिला, लोकतंत्र का गला घोंटने का प्रयास किया। वर्ष 1975 इसका उदाहरण है। नागरिकों ने जब भी अधिकारों की बात की तो कांग्रेस ने देश में भाषाई, क्षेत्रीय विवाद, हिंदुओं-सिखों को लड़ाने का पाप किया। इसके लिए कांग्रेस को कभी माफ नहीं किया जा सकता है।

ननकाना साहब में नहीं मिलती नगर कीर्तन की अनुमति

योगी ने कहा कि आज भी ननकाना साहब में गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर नगर कीर्तन की अनुमति नहीं मिलती है। सिंध तो हिंदू बाहुल्य था, सिंधी बाहुल्य राज्य है। उसे पाकिस्तान के अंदर क्यों जाने दिया गया। 1947 में बांग्लादेश में 22 फीसदी हिंदू थे जो घटकर 7-8 फीसदी रह गए हैं। एक सप्ताह पहले बांग्लादेश के चटगांव में लाखों हिंदू जुटकर दुनिया के सामने गुहार लगा रहे थे। बांग्लादेश के अंदर रहकर भी नरपिशाचों के सामने अपनी परवाह किए बिना वर्तमान व भावी पीढ़ी को बचाने के लिए हिंदुओं ने दुनिया को वास्तविक चेहरा दिखाया है। बांग्लादेश में हिंदू अमानवीय अत्याचार के शिकार हो रहे हैं। हमें मजहबी उन्माद से देश-दुनिया को बचाने का आह्वान करना है। मजहबी उन्माद एकता के माध्यम से परास्त होगा। महर्षि अरविंद का अखंड भारत का सपना ही इसका समाधान होगा।

लखनऊ की पूर्व महापौर भी हुई थीं त्रासदी की शिकार

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने बताया कि लखनऊ की पूर्व महापौर संयुक्ता भाटिया भी त्रासदी का शिकार बनी थीं। उस समय उनकी आयु महज एक वर्ष की थीं। दो वर्ष बाद उनके पिता उस कैंप में मिल पाए, जहां परिवार के लोग त्रासदी के शिकार थे। कार्यक्रम में विस्थापित परिवार के सदस्यों ने अपने अनुभव भी साझा किए। सिंधी समाज के सरदार निर्मल सिंह ने भी इस त्रासदी को शब्दों से चित्रांकित किया। सिंधी समाज के नानक चंद लखमानी व पंजाबी समाज के अनिल ने विभाजन विभीषिका के दौरान झेले गए दंश की पीड़ा को बयां किया।

कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, महापौर सुषमा खर्कवाल, प्रदेश के मंत्री जयवीर सिंह, बलवीर सिंह औलख, राज्यसभा सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा, संजय सेठ, बृजलाल, विधायक योगेश शुक्ल, पूर्व महापौर संयुक्ता भाटिया समेत अनेक गण्यमान्य मौजूद रहे।

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