लखनऊ – उत्तर प्रदेश में लगातार चौथे साल बिजली के बिल का अतिरिक्त बोझ उपभोक्ताओं की जेब पर नहीं पड़ेगा। विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों के 18 से 23 प्रतिशत की बिजली दरों में बढोतरी के प्रस्ताव को खारिज कर बिजली दरों में कोई भी बदलाव न करने का फैसला किया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि नोएडा पावर कंपनी क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 10 प्रतिशत की कमी की गयी है जबकि विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कर्मचारियों यानी विभागीय कार्मिकों काे बिजली के बिल में दी जा रही रियायतों काे खत्म करते हुये सभी के घरों मे अनिवार्य रूप से मीटर लगाने का भी आदेश जारी किया है।
नियामक आयोग के फैसले से बिजली दरों में बढोत्तरी की अटकलें स्वत: समाप्त हो गयी है। वर्तमान में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिये 100 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले 5.50 रूपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिल का भुगतान करते हैं जबकि 101 से 150 यूनिट तक बिजली का खर्च भी 5.50 रूपये के हिसाब से होता है हालांकि 151 से 300 यूनिट तक के लिये बिजली की दरें छह रूपये प्रति यूनिट और 300 यूनिट से अधिक के लिये 6.50 रूपये प्रति यूनिट के हिसाब से हैं। गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर करने वाले उपभोक्ताओं के लिये बिजली की दरे 100 यूनिट तक तीन रूपये प्रति यूनिट निर्धारित हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ता परिषद की ज्यादातर मांगों को मान लिया है, जिस प्रकार से नोएडा पावर कंपनी के क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 10 प्रतिशत की कमी की गई है, यदि उसी प्रकार पावर कारपोरेशन द्वारा विद्युत नियामक आयोग में उपभोक्ताओं के निकल रहे रुपया 25133 करोड पर अपीलेट ट्रिब्यूनल में मुकदमा दाखिल करने का शपथ पत्र दाखिल किया गया होता तो आज प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की भी बिजली दरों में भी भारी कमी हो जाती लेकिन उपभोक्ता परिषद की यह सबसे बडी जीत है कि प्रदेश में उपभोक्ताओं के निकल रहे सरप्लस पर नोएडा पावर कंपनी में बिजली दरें कम करके आगे का रास्ता खोल दिया है।
उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां पिछले 4 वर्षों से बिजली दरों में उपभोक्ता परिषद की लडाई के चलते कोई भी बढोतरी नहीं हो पाई है, दूसरी तरफ प्रदेश की बिजली कंपनियों पर इस बार फिर लगभग 7988 करोड उपभोक्ताओं का ही सर प्लस निकल आया है। विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कर्मचारियों यानी कि विभागीय कार्मिकों का जो एलऍमवी 10 था उसे टैरिफ शिडूल्ड से बाहर कर दिया है और अब सभी बिजली कार्मिक घरेलू विद्युत उपभोक्ता की श्रेणी में आएंगे सभी बिजली कार्मिकों के घरों पर अनिवार्य रूप से मीटर लगाने का आदेश भी जारी किया गया है।
वर्मा ने कहा कि ऐन मौके पर बिजली दरों में कमी को रोकने के लिए अपर मुख्य सचिव ऊर्जा द्वारा वितरण हानियों को आरडीएसएस स्कीम के तहत अनुमोदित करने का जो प्रस्ताव दिया गया था उसे उपभोक्ता परिषद की दलील के सामने खारिज कर दिया गया है । विद्युत नियामक आयोग ने मुआवजा कानून देरी से लागू करने के लिये उसके मद में जो 1000 करोड पहले अनुमोदित किया था उसमें 50 प्रतिशत कटौती कर अब केवल 500 करोड कर दिया है।
विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2023- 24 के लिए बिजली कंपनियों की तरफ से दाखिल 92564.89 करोड के वार्षिक राजस्व आवश्यकता को ना मानते हुए केवल 86579.51 करोड वार्षिक राजस्व आवश्यकता अनुमोदित की गई साथ ही विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली कंपनियों द्वारा जो 140.96 विलयन यूनिट की खरीद दिखाई गई थी उसके सापेक्ष 133.45 बिलयन यूनिट की खरीद अनुमोदित की गई बिजली कंपनियों द्वारा जो वितरण हानियां 14.90 प्रतिशत मांगी गई थी विद्युत नियामक आयोग द्वारा केवल 10.30 प्रतिशत ही माना गया।
उन्होने कहा कि उपभोक्ता परिषद की लंबी लडाई के बाद नियामक आयोग ने नोएडा पावर कंपनी के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 10 प्रतिशत का रिबेट देकर आगे के लिए रास्ता साफ कर दिया है यानी कि ग्रेटर नोएडा के क्षेत्र के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 10 प्रतिशत की कमी कर दी गई है है जिससे अब आगे का रास्ता साफ हो गया है उपभोक्ताओं का यदि बिजली कंपनियों पर सरप्लस निकलेगा तो पहले जैसे रेगुलेटरी सरचार्ज लगता था अब उसी आधार पर भी रेगुलेटर लाभ मिलेगा।