Tuesday, November 5, 2024

प्रख्यात पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का निधन, अंत्येष्टि बुधवार को दिल्ली में

नयी दिल्ली- जाने-माने पत्रकार, लेखक एवं हिंदी सेवी वेद प्रताप वैदिक का मंगलवार को राजधानी से सटे हरियाणा के गुरुग्राम स्थित आवास पर निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार बुधवार को दिल्ली के लोधी रोड श्मशान गृह में किया जायेगा।


श्री वैदिक 78 वर्ष के थे और पूरी तरह सक्रिय थे। उनके निजी सहायक के अनुसार वह सुबह स्नानगृह गये और अचानक वहीं गिर गये। संभवत: उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। उन्हें स्नानगृह का दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला गया और तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां, डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।


श्री वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। उन्होंने दिल्ली केे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में डाक्टरेट की उपाधि हासिल की थी। उन्होंने करीब चार साल तक दिल्ली में राजनीति शास्त्र का अध्यापन भी किया। उनकी रुचि दर्शनशास्त्र और राजनीतिशास्त्र में भी थी। राजेन्द्र माथुर, प्रभाष जोशी की पीढ़ी की आखिरी हस्ती रहे श्री वैदिक विदेश नीति, खासकर दक्षिण एशियाई देशाें की कूटनीति पर गहरी पकड़ रखते थे। उन्होंने अफगानिस्तान पर एक शोध किया था और 50 से अधिक देशों की यात्रा की थी।


समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा, नवभारत टाइम्स, जनसत्ता में शीर्ष संपादकीय पदों पर रहे श्री वैदिक 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमलों के सरगना और लश्करे तैय्यबा के आतंकवादी हाफिज सईद का इंटरव्यू लेकर खासे चर्चित हुए थे। हाफिज सईद का इंटरव्यू लेने के बाद पूरे देश में काफी हंगामा हुआ और दो सांसदों ने उन्हें गिरफ्तार करके उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की थी। इस पर श्री वैदिक ने निर्भीकता पूर्वक कहा था,“ दो सांसद ही नहीं पूरे 543 सांसद ‘सर्वकुमति’ से एक प्रस्ताव पारित करें और मुझे फांसी पर चढ़ा दें। मैं ऐसी संसद पर थूकता हूं।”


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने श्री वैदिक के निधन पर शोक व्यक्त किया है। संघ ने कहा कि महान विचारक, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सदैव प्रत्यन करने वाले और अंग्रेजी हटाओ आंदाेलन के प्रणेता प्रख्यात साहित्यकार एवं पत्रकार और राजनीतिक चिंतक श्री वैदिक का निधन अपूरणीय क्षति है।


नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे) के अध्यक्ष रासबिहारी ने श्री वैदिक के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने हिंदी के कई ऐसे शब्द दिये जो अंग्रेजी के शब्दों को टक्कर देते थे। उनके गढ़े हिंदी के शब्द आज भी लेखन में खूब इस्तेमाल किये जाते हैं।

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