मथुरा। भगवान कृष्ण की रास स्थली वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा। इस मौके पर मंदिर में बच्चों और बुजुगों को लेकर ना आने की अपील की गई है। इस संबंध में मंदिर प्रबंधन ने बुधवार एक एडवाइजरी भी जारी की है। यह फैसला मंदिर में भीड़ और पिछले दिनों हुई घटनाओं को देखते हुए लिया गया है।
सोमवार 26 अगस्त 2024 को देश के अलग-अलग हिस्सों में जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाने वाला है। इसे लेकर भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न मंदिरों में तैयारियां जोर-जोर से हो रही है। बांके बिहारी मंदिर, श्री द्वारकाधीश मंदिर, प्रेम मंदिर, जगन्नाथ मंदिर सहित अनेकों मंदिरों को जन्माष्टमी के लिए सजाया जा रहा है. इस दिन मंदिर प्रशासन की ओर से भक्तों की सुगमता के लिए कई दिशा-निर्देश भी जारी किए जाते हैं। भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में इस साल 2 दिन 26 अगस्त और 27 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी. लेकिन वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के लिए मंदिर प्रशासन की ओर से जारी किए गए शेड्यूल के अनुसार भक्त बांके बिहारी जी के दर्शन कर पाएंगे। जन्माष्टमी के दिन सुबह 7ः45 बजे से 12ः00 बजे तक मंदिर के पट खुलेंगे। इस दौरान 9ः00 बजे बांके बिहारी जी की श्रृंगार आरती की जाएगी। 11ः55 बजे ठाकुर जी की राजभोग आरती के बाद 12ः00 बजे पर्दा लगा दिया जाएगा। शाम के वक्त 5ः30 बजे से 9ः30 बजे तक श्रद्धालु बांके बिहारी जी के दर्शन कर पाएंगे। इस दौरान 6ः30 बजे बांके बिहारी जी की ग्वाल आरती की जाएगी। 7ः30 बजे भक्त भगवान के संध्या आरती में शामिल होंगे। मध्य रात्रि में बांके बिहारी जी का महाभिषेक किया जाएगा। इस दौरान दर्शन बंद रहेगा। सुबह 1ः45 में मंगल आरती के साथ मंदिर के कपाट खुलेंगे और भक्त ठाकुर जी के दर्शन कर सकेंगे। 28 अगस्त को सुबह 7ः45 बजे से 12ः00 बजे तक बांके बिहारी मंदिर में नंदोत्सव मनाया जाएगा।
बुजुर्ग और बच्चों को मंदिर में नहीं होगी एन्ट्री
जन्माष्टमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है। इससे निपटने के लिए मंदिर प्रशासन ने इस बार भक्तों के लिए एडवाइजरी जारी की है। मंदिर प्रबंधन ने जन्माष्टमी के दिन लोगों से अपील की है कि भक्त बुजुर्ग और बच्चों को लेकर मंदिर परिसर में ना आएं। इस अपील के साथ मंदिर प्रबंधन ने भक्तों से बांके बिहारी मंदिर में बैग या किसी प्रकार का सामान ना लाने को कहा है। श्रद्धालुओं का मंदिर प्रबंधन की ओर से जन्माष्टमी के दिन मंदिर के अंदर आने के लिए प्रवेश द्वार का और जाने के लिए निकास द्वार का इस्तेमाल करने को कहा गया है।