मुजफ्फरनगर। निकाय चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी में जिला अध्यक्ष के रूप में जिया चौधरी की नियुक्ति से पैदा हुआ विवाद इतना बढ़ा कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता कहीं ‘कमल के फूल’ पर ठप्पे लगाते नजर आए, तो कहीं ‘पतंग’ उड़ा रहे थे।
चुनाव की घोषणा से ठीक पहले समाजवादी पार्टी ने जिला अध्यक्ष के रूप में जिया चौधरी की नियुक्ति की घोषणा कर दी थी। जिया चौधरी की नियुक्ति की घोषणा समाजवादी पार्टी में हंगामे का कारण बन गई।
आपको बता दें कि जिला अध्यक्ष के रूप में जिया चौधरी के अलावा वसी अंसारी, अलीम सिद्दीकी और अब्दुल्ला राणा जैसे कई प्रमुख दावेदार थे, जो जिलाध्यक्ष बनने के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे, पर पार्टी ने अचानक जिया चौधरी के नाम की घोषणा कर दी, तो बाकी सब उखड़ गए।
इसी बीच निकाय चुनाव की घोषणा हो गयी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री हरेंद्र मलिक ने वरिष्ठ नेता राकेश शर्मा को मुजफ्फरनगर निकाय सीट का प्रभारी घोषित करा दिया, साथ ही सोमपाल संधावली को जिला उपाध्यक्ष, विकिल चौधरी को जिला महामंत्री, बॉबी त्यागी को नगर अध्यक्ष और सलीम अंसारी को नगर महामंत्री बनवा दिया। यह सभी हरेंद्र मलिक से निजी रूप से जुड़े नेता माने जाते हैं। जिया चौधरी की नियुक्ति भी पंकज मलिक की सिफारिश पर करने की चर्चा हुई थी, जिससे सपा में गुटबाजी बहुत तेजी से बढ़ गई।
सपा में उठापटक चल ही रही थी कि प्रदेश स्तर पर सपा-रालोद गठबंधन में भी दरार दिखाई देने लगी, आसपास के सभी जिलों में सपा और रालोद के प्रत्याशी आमने-सामने चुनाव में उतरने लगे जिसके बाद गठबंधन का चुनाव बिखरने लगा।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी में रहकर 6 चुनाव लड़ने वाले स्वरूप परिवार को भाजपा का सिंबल दे दिया, समाजवादी पार्टी के समय से ही स्वरुप परिवार मुस्लिमों में भी अपना एक अलग मुकाम रखता है, जिसके चलते बीजेपी में जाने के बाद भी गौरव से नजदीक रिश्ते वालों की एक लंबी फेहरिस्त है।
मतदान होने के बाद बूथ की गिनती सामने आई तो पता चला कि समाजवादी पार्टी के आधार मतदाताओं में ही गौरव स्वरूप ने जबरदस्त सेंध लगाई है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शामिल पूर्व सांसद कादिर राणा के बूथ पर बीजेपी को 137 वोट मिली जिसमे सब मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं, उनके गांव सुजडू में कमल के फूल पर ठप्पे बाजी की वीडियो भी वायरल हुई थी। राजनीतिक गलियारों में चर्चा आम है कि समाजवादी पार्टी के सुजडू के जिम्मेदार लोग गौरव स्वरूप का समर्थन कर रहे थे, जिनमें जिला अध्यक्ष पद के दावेदार रहे अब्दुल्ला राणा भी शामिल हैं।
जिला अध्यक्ष पद के दूसरे दावेदार अलीम सिद्दीकी भी गौरव स्वरूप के नजदीकी नेताओं में माने जाते हैं। पार्टी के एक बड़े नेता की माने, तो मतदान से 2 दिन पहले जब वे बीजेपी दफ्तर के सामने से गुजर रहे थे तो अलीम सिद्दीकी अपनी कार से उतरकर बीजेपी के दफ्तर में जाते दिखाई दिए थे। अलीम सिद्दीकी हालांकि इस आरोप से इंकार करते हैं कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान कराया है, लेकिन उनके प्रभावी इलाकों में ‘फूल’ के अलावा ‘पतंग’ भी चली है, यह बूथ की रिपोर्ट बता रही है। अब्दुल्ला राणा भी कहते हैं कि उन्होंने समाजवादी पार्टी को ही वोट दी है, लेकिन वह यह साफ करने से भी नहीं हिचकते कि उन्होंने किसी को भी लवली शर्मा को वोट देने के लिए नहीं कहा है। समाजवादी पार्टी के पुराने नेताओं का आरोप है कि राकेश शर्मा केवल पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक के कहे अनुसार ही, चुनाव लड़ते रहे और पार्टी के पुराने नेताओं से उन्होंने दूरी बनाकर रखी।
समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में गौरव का जलवा और गौरव की रणनीति ऐसी चली कि वे भाजपा के आधार वोटरों में हजारों वोट गंवाने के बाद भी, सपा के आधार वोटरों के बलबूते चुनाव जीतने में सफल रहे और पार्टी के सलमान अंसारी, मेहताब सैफी, कलीम अंसारी, आमिर डीलर, दिलनवाज सलमानी, दिलशाद अंसारी, नईम और लियाकत अंसारी जैसे सपा के नेता तो बाकायदा भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी मीनाक्षी स्वरुप के घर बधाई देने भी गए और अपनी फोटो भी उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट की है ।