नयी दिल्ली/ भुवनेश्वर- ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाले बीजू जनता दल (बीजद) ने राजधानी में नवनिर्मित नए संसद भवन के उद्घाटन के “ऐतिहासिक अवसर” पर आयोजित का कार्यक्रम में भाग लेने की बुधवार को घोषणा की और कहा कि राष्ट्रपति तथा संसद जैसी संस्था को किसी ऐसे विवाद से अलग रखना चाहिए जिससे उनके गरिमा और सम्मान पर प्रभाव पड़ता हो।
नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार 28 मई 2023 को करेंगे। कुछ दलों का कहना है कि इस भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस , आप और कुछ अन्य दलों ने उद्घाटन समारोह में भाग नहीं लेने की घेषणा की है।
बीजद के प्रवक्ता लेनिन मोहंती ने आज जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “बीजद का मानना है कि इन सैवैधनिक संस्थाओं को ऐसे किसी विवाद से अलग रखा जाना चाहिए जिससे उनकी प्रतिष्ठा और सम्मान प्रभावित होता हो। ऐसे मुद्दों पर बाद में कभी भी महान सदन में चर्चा हो सकती है।” बयान में कहा गया है , “इसलिए बीजद इस ऐतिहासिक अवसर पर इसमें भाग लेगा।”
बीजद ने बयान में कहा, “राष्ट्रपति भारत सरकार का मुखिया होता है। लोकसभा भारत के 1.4 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। ये दोनों संस्थाएं भारत के लोकतंत्र की प्रतीक है और उन्हें भारत के संविधान के अंतर्गत अधिकार दिए गए हैं। सदैव इन संस्थाओं के अधिकार और प्रतिष्ठा की रक्षा की जानी चाहिए।”
इससे पहले विपक्ष के 19 दलों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में संसदीय लोकतंत्र पर कुठाराघात हुआ है और नये भवन के निर्माण में विपक्षी दलों के साथ कोई सलाह मशविरा तक नहीं किया गया, इसलिए समान विचारधारा वाले दलों ने नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह का सामूहिक रूप से बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों ने आज यहां संयुक्त वक्तव्य में कहा, “नये संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है। विपक्ष मानता है कि मोदी सरकार लोकतंत्र के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर रही है। इस सरकार ने निरंकुश तरीके से नये संसद का निर्माण किया है इसके बावज़ूद विपक्ष उद्घाटन समारोह के अवसर पर मतभेदों को भुलाने को तैयार था। सरकार ने नये संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पूरी तरह से दरकिनार कर नये भवन का उद्घाटन श्री मोदी से कराने का निर्णय लिया है और यह हमारी लोकतांत्रिक परंपरा पर सीधा हमला है।”
इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह का 19 विपक्षी दलों के बहिष्कार फैसले की बुधवार को आलोचना करते हुए कहा कि उनका यह रुख देश के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का अपमान है।
राजग में शामिल 14 दलों के नेताओं ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि लोकतंत्र में संसद एक पवित्र संस्था है।उन्होंने कहा कि यह विपक्ष के दिवालियापन को दिखाता है। यह लोकतंत्र की मूल आत्म और मर्यादा पर कुठारघात
है।
राजग के दलों ने बयान में कहा विपक्ष ने मुर्मू के राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने का कड़ा विरोधकर न सिर्फ उनका, बल्कि हमारे राष्ट्र की अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का घोर अपमान था।
उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुखद सार्वजनिक तथ्य है कि विपक्ष संसद से भागता रहा है। कारण यह उनकी स्वार्थी और पुरानी इच्छाओं को प्रतिनिधित्व करता है। जिन्हें जनता ने बार-बार खारिज किया है।