मुजफ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन के मुखिया चौधरी नरेश टिकैत ने प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को सिंचाई के लिए खेतों में सिंचाई के लिए बिजली के बिल में 100 प्रतिशत छूट देने को देर से उठाया एक अच्छा कदम बताते हुए कहा कि प्रदेश का किसान बेहाल है, किसानों के गन्ने का दाम ना बढ़ाकर प्रदेश सरकार ने किसानों के साथ बड़ा धोखा किया है।
उन्होंने कहा कि आवारा पशुओं के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो रही है वही आवारा पशुओं के द्वारा कई किसानों की मौत हुई है, सरकार को चाहिए कि जिन किसानों की मौत हुई है। उनके परिजनों को उचित मुआवजा एवं जिन किसानों की फसल आवारा पशुओं के कारण उजड़ गई है, उन्हें भी उस फसल का मुआवजा का प्रावधान होना चाहिए वही प्रदेश सरकार को आवारा पशुओं के लिए एक दीर्घकालीन नीति बनानी चाहिए।
दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत ने किसानों के लिए किए गए बजट प्रावधान पर असहमति जताई है। उन्होंने कहा कि जब तक किसानों की जेब में सीधा पैसा नहीं जाएगा, उनका भला नहीं होगा ।
राकेश टिकैत ने कहा कि यदि किसानों को सिंचाई के लिए मिलने वाला पानी मुफ्त किया जाए, तो कुछ लाभ हो सकता है। राकेश टिकैत ने कहा कि इस बार बजट में कुछ भी नया नहीं रहा। सरकार घोषणा तो करती है, लेकिन देती कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट से पूर्व गन्ना भुगतान की बात कही, लेकिन इसमें सरकार की क्या भूमिका रही है, यह सब भली-भांति जानते हैं।
किसान नेता ने कहा कि किसान ने गन्ना दिया और चीनी मिलों ने उसका भुगतान कर दिया। इसमें सरकार की क्या भूमिका है। उन्होंने कहा कि सरकार सिंचाई के लिए किसानों को मुफ्त पानी दे 7 मुफ्त बिजली दें, तो कुछ लाभ होगा। उन्होंने कहा कि बिजली बचाने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा की व्यवस्था होनी चाहिए। यदि सरकार छतों पर लगाए जाने वाले सोलर पैनल पर सब्सिडी दें, तो किसानों को लाभ पहुंचेगा। इसे देश और प्रदेश की बिजली भी बचेगी। सोलर एनर्जी वाले इक्विपमेंट पर छूट मिलनी चाहिए। भूमिहीन किसानों खासतौर से खेत मजदूरों का दुर्घटना बीमा होना चाहिए।
राकेश टिकैत ने कहा कि यदि सरकार मनरेगा में किसानों को उनके खेतों में काम करने का पैसा दें, तो काफी लाभ पहुंचेगा। उन्होंने सवाल उठाया कि जब फसल के दाम ठीक नहीं मिल रहे, तो किसानों के खातों में पैसा पहुंचना चाहिए।
उन्होंने तेलंगाना की पॉलिसी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि वहां पर प्रत्येक किसान को दस हजार प्रति एकड़ सब्सिडी मिलती है।
उन्होंने कहा कि सरकार दूध डेयरी पर छूट की बात करती है, लेकिन सच्चाई यह है कि जिसने भी दूध डेयरी खोली उस किसान को अपनी जमीन बेचनी पड़ी है। सरकार की यह पॉलिसी बिल्कुल ठीक नहीं है।
एक सवाल के जवाब में चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि किसान को पांच लाख का दुर्घटना बीमा मिलता है, लेकिन यह पहले से योजना चल रही है।