मुजफ्फरनगर। जानवरों की चर्बी से नकली घी बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है। उप जिलाधिकारी द्वारा मारे गए छापे में गांव में बने घर के भीतर देसी घी की नदी बहती हुई मिली है। तकरीबन 50 कुंतल घी बरामद करते हुए खाद्य विभाग की टीम ने नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे हैं।
सोमवार को दीपावली के मददेनजर खाद्य विभाग और जिला प्रशासन की टीम द्वारा चलाए जा रहे सैंपल भरो अभियान के अंतर्गत उप जिलाधिकारी सदर परमानंद झा द्वारा पुलिस के साथ कोतवाली क्षेत्र के गांव बहेड़ी में की गई छापामार कार्यवाही में देसी घी की नदियां एक घर के भीतर बहती हुई मिली है।
शहर कोतवाली क्षेत्र के गांव बहेड़ी में मकान के भीतर बड़े पैमाने पर देसी घी बनाया जा रहा था। एसडीएम के छापे में घर के भीतर से देसी घी की बड़ी खेप बरामद हुई है। बताया जा रहा है कि तकरीबन 50 कुंतल देसी घी बहेड़ी गांव में बरामद किया गया है। छापे की जानकारी मिलते ही मौके पर जमा हुए लोगों का आरोप है कि बड़े पैमाने पर बरामद हुआ यह देसी घी पशुओं की चर्बी की मिलावट करते हुए बाजार में बेचने के लिए तैयार किया गया था। बड़े पैमाने पर देसी घी के बरामद जखीरे को देखकर पुलिस और प्रशासनिक अफसर की भी आंखें फटी की फटी रह गई है। खाद्य विभाग की टीम ने इस देसी घी के नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे हैं।
उल्लेखनीय है कि बाजार में देसी घी का दाम तकरीबन 600 रुपए प्रति किलो चल रहा है। 50 कुंतल देसी घी बेचकर प्राप्त हुई धनराशि बेचने वाले को रातों-रात मालामाल कर देती। इस देसी घी को खाकर पब्लिक बीमार पड़ जाती, इससे नकली देसी घी बनाने और बेचने वालों को कोई मतलब नहीं था।