मोरना। बीते वर्ष गंगा खादर क्षेत्र में आई बाढ़ से गन्ने आदि की फसल तबाह हो गयी थी। फसलों के तबाह हो जाने से किसानों का भारी आर्थिक नुकसान हुआ था। बाढ़ के बाद खाली पड़ी भूमि पर जहां कुछ किसानों ने सरसों की फ़सल को उगाया था। वहीँ अनेक किसानों ने नकदी फसलों की बुआई की।
आज यह फसलें तैयार हैं अब किसान फसलों के उचित दाम मिलने व मौसम के सूखे रहने से आस लगाये हुए थे। किन्तु बिचौलियों के कारण फसलों के उचित दाम नहीं मिलने से किसान मायूस हैं। मोरना ब्लॉक् क्षेत्र के गंगा व सोलानी नदी के खादर में जायद अथवा नकदी फसलों की खेती की जा रही है। किसानों ने खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूजा सहित लौकी, कद्दू, टमाटर, मिर्च, बैंगन आदि की फसलों को उगाया हुआ है, जिनमें तरबूज व खरबूजा को छोड़कर अन्य सभी फसलें तैयार हैं, जिन्हें दोपहर में तोड़कर इकट्ठा किया जाता है। शाम के समय इन उत्पादों को छोटे गाडिय़ों में भर कर उत्तराखंड क्षेत्र की मण्डियों में भेजा जाता है।
किसान महेन्द्र, राजकुमार, शुभम, सुशील, सुभाष, जयपाल आदि ने बताया कि बाढ़ के कारण गन्ने की फसल बर्बाद हो गयी थी और महीनों तक खेतों में पानी भरे रहने से किसी भी फसल की बुआई सम्भव नही थी। दीपावली के बाद पानी सूख जाने के बाद नकदी फसलों की बुआई की गयी।
मँहगे बीज व महंगे पेस्टीसाइड को उधार खरीदकर ये फसलें उगाई गयी हैं। बाजार में जहां यही सब्जियाँ महंगी बिक रही हैं, वहीं उन्हें ओने पौने दाम ही मिल पा रहे हैं। बाजार में लौकी की कीमत 3० रुपये से 4० रुपये किलो तक है, वहीं उन्हें मात्र 5 रुपये प्रति किलो के दाम मिल रहे हैं।यही हालत अन्य उत्पादों की है।
मौसम से घबराए जायद फसलों के किसान-आकाश में बादलों की गरज व बारिश होने की संभावना से किसान घबराये हुए हैं। किसानों ने बताया कि अगर तेज़ बारिश हुई, तो फसल तो खराब होगी ही। साथ ही उसका उठान भी बन्द हो जायेगा। ऐसे में कड़ी मेहनत व कर्ज लेकर उगाई गयी, फसलों को लेकर वह चिंतित हैं।