नई दिल्ली। पूसा स्थित एपीजे सिंधु हॉल में आज एक ऐतिहासिक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंधु जल संधि को लेकर देश भर के किसानों से खुलकर चर्चा की। संवाद के दौरान देश के प्रमुख राज्यों—पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश—से आए सैकड़ों किसानों ने एक स्वर में इस संधि को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया।
कार्यक्रम में भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश सिंह चौहान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह रंधावा व मांगेराम त्यागी, महासचिव/प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक, राष्ट्रीय सचिव उम्मेद सिंह, वरिष्ठ नेता बाबा श्याम सिंह मलिक, राजकुमार तोमर, राजेन्द्र सिंह, विपिन त्यागी, राजीव बालियान, सुधीर पंवार, रामपाल जाट, हरपाल डागर और सलविंदर सिंह कलसी—सहित कई किसान नेता शामिल हुए।
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संवाद के दौरान वक्ताओं ने केंद्र सरकार द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाए जाने की नीति का समर्थन किया। धर्मेन्द्र मलिक ने कहा कि “जब देश की नदियों का पानी दुश्मन देश इस्तेमाल करे, तो यह हमारे लिए शर्म की बात है।” उन्होंने भारत सरकार से जल संसाधन पर स्वायत्तता के लिए कठोर निर्णय लेने की अपील की।
शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि “सिंधु जल पर हमारे किसानों का अधिकार है और इसकी एक-एक बूंद का उपयोग कृषि, बिजली और विकास में किया जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है जब भारत अपनी नदियों के जल पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर दूसरी हरित क्रांति की ओर बढ़े।
पीजेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक बालियान ने अंतरराष्ट्रीय कानूनी पहलुओं को रेखांकित करते हुए बताया कि वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 60 और 62 भारत को यह अधिकार देते हैं कि वह भौतिक उल्लंघन या परिस्थिति में मौलिक परिवर्तन के आधार पर किसी भी संधि को निलंबित कर सकता है।
कार्यक्रम के अंत में किसानों ने सर्वसम्मति से सिंधु जल संधि को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन करते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा व किसान कल्याण की दिशा में निर्णायक पहल बताया।
इस मौके पर यह भी प्रस्ताव पारित किया गया कि यदि पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों पर रोक नहीं लगाता तो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को और अधिक आक्रामक रूप से आगे बढ़ाया जाना चाहिए।