Tuesday, April 29, 2025

एम3एम पर होगी एफआईआर,200 करोड़ की होगी वसूली, बिना 73 एकड़ जमीन मिले ही कर दिया प्रोजेक्ट लांच

नोएडा। बिना जमीन, बिना यूपी रेरा रजिस्ट्रेशन और बिना नक्शा पास करवाए हाउसिंग प्रोजेक्ट लॉन्च करने वाले एमथ्रीएम बिल्डर के खिलाफ यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के सीईओ डॉ अरुणवीर सिंह ने एम3एम बिल्डर, कदम ग्रुप और इंडिया कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने का आदेश दिया है। इन कंपनियों से 200 करोड़ रुपए की वसूली की जाएगी।

यमुना प्राधिकरण के सीईओ ने नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु महेश्वरी को नोएडा के सेक्टर-128 में एम3एम ग्रुप की घोषित हाउसिंग स्कीम का नक्शा पास नहीं किए जाने के लिए पत्र भेजा है। यमुना प्राधिकरण ने शिकायत ग्रेटर नोएडा के बीटा-2 थाने में की है। यह शिकायत प्रॉपर्टी डिपार्टमेंट के सहायक प्रबंधक बृजेश कुमार कश्यप की ओर से दी गई है। प्राधिकरण ने एम3एम बिल्डर, इंडियाबुल्स, कदम डेवलपर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके कानूनी कार्रवाई करने की मांग पुलिस से की है।

जेपी समूह ने सेक्टर-128 के बड़े लैंड पार्सल में से 73 एकड़ का एक भूखंड गाजियाबाद के कदम समूह को बेच दिया। कदम समूह और शिप्रा समूह ने अपनी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से लोन लिया। जिसकी एवज में यह जमीन गिरवी रख दी गई। गिरवी जमीन और कदम समूह के शेयर इंडिया बुल्स ने एम3एम बिल्डर को 900 करोड़ रुपए में बेच दिए। इस मामले को लेकर 2 दिन पहले शिप्रा समूह ने गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाने में इंडियाबुल्स, एम3एम बिल्डर और एडलविज कंपनी के 18 निदेशकों पर जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र रचने जैसे गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज करवाया है।

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वहीं दूसरी ओर एम3एम बिल्डर ने नोएडा के सेक्टर-128 में यह 73 एकड़ जमीन कानूनी रूप से मिले बिना हाउसिंग प्रोजेक्ट लांच कर दिया। बात यह है कि कदम समूह के शेयर खरीदने से इस जमीन पर एम3एम बिल्डर को मालिकाना हक नहीं मिल सकता है। नियमानुसार पहले कदम समूह को इंडिया बुल्स और फिर इंडिया बुल्स को यह जमीन एम3एम बिल्डर को ट्रांसफर करनी होगी। इसके लिए यमुना प्राधिकरण से ट्रांसफर मेमो हासिल करने होंगे।

सीईओ ने बताया कि इंदिरापुरम थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक यह जमीन इन कंपनियों ने मनमाने ढंग से कागजों में दो बार ट्रांसफर कर ली है। इस बारे में प्राधिकरण को कोई जानकारी नहीं दी गई है। दो बार ट्रांसफर करने के लिए करीब 200 करोड़ रुपए शुल्क का चोरी किया है। यह शुल्क प्राधिकरण को नहीं दिया गया है। जमीन हाथ में आए बिना हाउसिंग प्रोजेक्ट लॉन्च करना आम आदमी के साथ धोखाधड़ी है। यूपी रेरा से रजिस्ट्रेशन लिए बिना प्रोजेक्ट लॉन्च नहीं किया जा सकता है।

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