नयी दिल्ली। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताते हुये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आम बजट पेश करते हुये कहा, “हमारा लक्ष्य घाटे को अगले वर्ष 4.5 प्रतिशत से नीचे लेकर आना है।”
श्रीमती सीतारमण ने संसद में बजट पेश करते हुये कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की वास्तविक वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत और नॉमिनल वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 में विकास दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। औसत खुदरा मुद्रास्फीति 2022-23 में 6.7 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में 5.4 प्रतिशत पर आ गयी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 के लिए उधारियों को छोड़कर कुल प्राप्तियां तथा कुल व्यय क्रमशः 32.07 लाख करोड़ रुपए और 48.21 लाख करोड़ रुपए अनुमानित हैं। सकल कर प्राप्तियां 25.83 लाख करोड़ रुपए अनुमानित हैं। राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पूंजीगत व्यय सकल घरेलू उत्पाद का 3.4 प्रतिशत यानि 11,11,111 करोड़ रुपए रहा। इसमें राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए 1,50,000 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता शामिल है। बजटीय पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2019-20 के पूंजीगत व्यय का 3.3 गुणा है और 2024-25 के बजटीय अनुमान में कुल परिव्यय का 23 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 के दौरान सकल और शुद्ध बाजार उधारियां क्रमशः 14.01 लाख करोड़ और 11.63 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। एससीबी का सकल गैर निष्पादित संपत्ति (जीएनपीए) अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में अपने सर्वोच्च स्तर 11.2 प्रतिशत की तुलना में मार्च 2024 में घटकर 2.8 प्रतिशत पर आया है
सकल कर राजस्व (जीटीआर) 2023-24 के राजस्व अनुमान से 11.7 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। 2023-24 में 38.40 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 11.8 प्रतिशत )था। उन्होंने कहा कि प्रमुख सब्सिडियों में जीडीपी के 1.4 प्रतिशत की कमी का अनुमान है। वस्तु और सेवा कर राजस्व में 11 प्रतिशत बढोत्तरी दर्ज होने की संभावना।
उन्होंने कहा कि सरकार राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2025-26 तक जीडीपी के 4.5 प्रतिशत तक लाने में सफलता प्राप्त करने के उद्देश्य से निरंतर कार्य करेगी। इसके अलावा सरकार सतत विकास के साथ ही लोगों के कल्याण और आर्थिक वृद्धि में ऋण तथा सकल घरेलू उत्पाद के बीच समन्वय बनाने का प्रयास करते हुए लक्ष्य प्राप्त करने में ध्यान केन्द्रित करेगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2021 में घोषित राजकोषीय समेकन उपाय से अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है और अगले वर्ष घाटे को 4.5 प्रतिशत से नीचे लाने का लक्ष्य है। सरकार इस राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि वर्ष 2026-27 से प्रति वर्ष राजकोषीय घाटे को इस प्रकार रखना है कि केंद्र सरकार का ऋण सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में लगातार कम होता रहे।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 4.9 प्रतिशत, राजस्व घाटा 1.8 प्रतिशत, प्राथमिक घाटा 1.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसी तरह से कर राजस्व (सकल) 11.8 प्रतिशत, गैर कर राजस्व 1.7 प्रतिशत , केंद्र सरकार के ऋण 56.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 के दौरान दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से सकल और निवल बाजार उधारियां क्रमशः 14.01 लाख करोड़ रुपए और 11.63 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। दोनों ही वर्ष 2023-24 की तुलना में कम होंगे। मार्च 2024 के अंत तक वाणिज्यिक बैंकों का सकल गैर निष्पादित परिसंपत्तियों का औसत घटकर 2.8 प्रतिशत पर आ गया। वर्ष 2017-18 में यह 11.2 प्रतिशत के उच्चस्तर पर था। वाणिज्यिक बैंकों ने मार्च 2024 में अपनी पूंजी को पूंजीगत भंडार में उच्च लाभ और नई पूंजी जोड़ कर सीआरएआर को 16.8 प्रतिशत कर लिया।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2024-25 के बजटीय अनुमान में सकल कर राजस्व (जीटीआर) के 11.7 प्रतिशत से बढ़ने का अनुमान है। सकल कर राजस्व का 38.40 लाख करोड़ रुपए (जीडीपी का 11.8 प्रतिशत) होने का अनुमान है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों का सकल कल राजस्व का क्रमश: 57.5 प्रतिशत और 42.5 प्रतिशत का योगदान देने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2023-24 के राजस्व अनुमान में प्रमुख सब्सिडी के 1.4 प्रतिशत से 2024-25 के बजटीय अनुमान का 1.2 प्रतिशत होने की संभावना है। 2024-25 के बजट अनुमान में राजस्व व्यय 10.3 प्रतिशत यानि 3.81 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है। राजस्व प्राप्ति और राजस्व व्यय में संतुलन बनाने के लिए बजट अनुमान 2024-25 में केंद्र सरकार की राजस्व प्राप्ति और राजस्व व्यय के क्रमश: 31.29 लाख करोड़ रुपए और 37.09 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2023-24 में जीएसटी संग्रह ने प्रमुख उपलब्धि हासिल की और सकल जीएसटी संग्रह 20.18 लाख करोड़ रुपए रहा। वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में इसमें 11.7 प्रतिशत वृद्धि हुई। सकल कर राजस्व में 13.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई और केंद्र का कुल कर 10.9 प्रतिशत एकत्र हुआ। केंद्र सरकार का वित्त वर्ष 2023-24 में सकल परिव्यय में 5.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।