लखनऊ/मेरठ – पश्चिमी उत्तर प्रदेश का दुर्दांत अपराधी अनिल दुजाना गुरूवार को मेरठ के जानी क्षेत्र में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के साथ एक मुठभेड़ में मारा गया।
विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने पत्रकारों को बताया कि एसटीएफ को सूचना मिली थी कि हाल ही में जमानत पर रिहा हुआ दुजाना बागपत से मुजफ्फरनगर अपने गिरोह के साथियों से मिलने जा रहा है। भोला की झाल में पुलिस ने दोपहर करीब तीन बजे उसकी घेराबंदी की। पुलिस को सामने देख दुजाना ने भागने का प्रयास किया जिससे उसका वाहन एक पेड से टकरा गया। बचने के प्रयास में उसने पुलिस पर 15 से 20 राउंड गोलियां चलायी। जवाबी कार्रवाई में वह घायल हो गया और बाद में उसकी मौत हो गई।
उन्होने बताया कि पुलिस को मौके से दो पिस्तौल और कारतूस का जखीरा मिला है। दुजाना के खिलाफ 64 से अधिक मामले दर्ज थे, जिनमें हत्या के 18 और हत्या के प्रयास के सात मामले शामिल थे। जेल से छूटने के पहले और बाद में दुजाना एक परिवार को रंगदारी के लिए धमका रहा था और इस संबंध में नोएडा के दादरी थाने में मामला दर्ज किया गया था। वह पहले ही उस परिवार के दो सदस्यों को मार चुका था जिसे वह धमकी दे रहा था।
श्री कुमार ने कहा कि दुजाना के गिरोह में 40 से 45 सदस्य थे, जिनके बूते उसने गाजियाबाद, बुलंदशहर, नोएडा, दिल्ली और मेरठ में आतंक का राज कायम किया था। ऐसी सूचनाएँ थीं कि वह अपने गिरोह को फिर से संगठित करने की कोशिश कर रहा था। अपराध और अपराधियों के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत, दुजाना की 2.30 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति पुलिस द्वारा गैंगस्टर अधिनियम के तहत कुर्क की गई थी।
इससे पहले मेरठ में पुलिस अधीक्षक (एसपी) एसटीएफ बृजेश सिंह ने कहा कि दुजाना भोला झाल इलाके में घटना को अंजाम देने आया था। उन्होंने कहा, “ अपराधी को गंगनहर के पास ट्रैक किए जाने के बाद एसटीएफ टीम ने घेर लिया था। सूचना मिली थी कि दुजाना नेपाल भागने की तैयारी कर रहा है।”
उन्होंने बताया कि एसटीएफ की टीम से घिरने के बाद दुजाना ने फायरिंग की और जवाबी फायरिंग में वह मारा गया। अनिल दुजाना लंबे समय से तिहाड़ जेल में बंद था और हाल ही में जमानत पर छूटा था। उसके खिलाफ हत्या, डकैती, रंगदारी और फिरौती समेत पांच दर्जन से अधिक मामले दर्ज थे। उसकी गिरफ्तारी पर इनाम भी घोषित किया गया था।
दुजाना पर कई राज्यों में 18 मर्डर समेत 60 से ज्यादा केस चल रहे थे। बुलंदशहर पुलिस ने 25 हजार और नोएडा पुलिस ने 50 हजार का इनाम रखा था। पुराने केसों में पेश नहीं होने से अदालत से गैर जमानती वारंट जारी किया था।
2011 में बादलपुर कोतवाली में आईपीसी की धारा-174 ए के केस में अनिल दुजाना को 3 साल की सजा सुनाई गई है। 20 हजार रुपए का अर्थदंड जमा करने का आदेश दिया गया है। बादलपुर का दुजाना गांव कभी कुख्यात सुंदर नागर उर्फ सुंदर डाकू के नाम से जाना जाता था। सत्तर और अस्सी के दशक में सुंदर का दिल्ली-एनसीआर में खौफ था।
अनिल तिहरे हत्याकांड में जनवरी 2012 में पकड़ा गया। वह जेल से अपने गैंग को चलाने लगा। रणदीप भाटी और अमित कसाना मदद करते थे। वह जेल से ही मर्डर और रंगदारी की साजिशों को अंजाम देने लगा। सुंदर भाटी गैंग ने जनवरी 2014 दुजाना के घर पर हमला कर दिया। ताबड़तोड़ फायरिंग में उसके भाई जय भगवान की मौत हो गई।
अनिल के पिता ने सुंदर भाटी समेत आठ को नामजद कराया। दुजाना गैंग ने इसका बदला लेने के लिए सुंदर के गुर्गे राहुल का मर्डर कर दिया। दुजाना के गुर्गों ने जनवरी 2019 को दिल्ली के नंद नगरी के कारोबारी से 50 लाख की रंगदारी मांगी थी। वह 9 साल बाद जनवरी 2021 में जमानत पर बाहर आया। 16 अक्टूबर 2021 में सिकंदराबाद के एक कारोबारी से एक करोड़ की रंगदारी मांगी। खेड़ी गांव के प्रधान जयचंद हत्याकांड में गवाह उनकी पत्नी को भी धमकाया। वह दोनों केसों में वांटेड चल रहा था।
दुजाना ने फरवरी 2019 को सूरजपुर कोर्ट में बागपत की पूजा से सगाई की थी। वह फरवरी 2021 को जमानत पर बाहर आया और पूजा से शादी कर ली। यूपी पुलिस की जांच में आया था कि दुजाना की पत्नी पूजा के पिता लीलू का बागपत में राजकुमार से चालीस बीघा जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। राजकुमार ने अपनी दो बेटियों की शादी गाजियाबाद के कुख्यात बदमाश हरेंद्र खड़खड़ी और उसके भाई से कर दी थी। पूजा के पिता ने अपनी बेटी के लिए खड़खड़ी से बड़े बदमाश अनिल दुजाना को ढूंढ लिया।