मुंबई। वित्त वर्ष 25 में सोने ने सभी एसेट क्लास में सबसे ज्यादा 41 प्रतिशत (डॉलर में) का रिटर्न दिया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की ओर से सोमवार को यह जानकारी दी गई। सोने में तेजी की वजह वैश्विक स्तर पर अस्थिरता होना है, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोगों ने सुरक्षित समझे जाने वाले सोने में निवेश किया है। वित्त वर्ष 25 में एनएसई के मुख्य सूचकांक निफ्टी ने 5.34 प्रतिशत का रिटर्न दिया था। हालांकि, लंबी अवधि में भारतीय इक्विटी बाजार ने निवेशकों को अधिक रिटर्न दिया है और वेल्थ बनाने में मदद की है। बीते 20 वर्षों में निफ्टी ने डिविडेंड को मिलाकर 14.4 प्रतिशत का वार्षिक रिटर्न दिया है, जो कि सोने की ओर से दिए गए वार्षिक रिटर्न से काफी अधिक है। सोने में तेजी आने की अहम वजह मांग में वृद्धि होना है, जो कि 15 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
यह लगातार तीसरा वर्ष है जब केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और अधिक ईटीएफ इनफ्लो के कारण मांग 1,000 टन से अधिक रही है। दुनियाभर के केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार में विविधता लाने के लिए बड़ी मात्रा में सोना खरीद रहे हैं। स्टॉक एक्सचेंज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “भारत में भी इस बदलाव को महसूस किया गया है, पिछले तीन और पांच वर्षों में आरबीआई तीसरे सबसे बड़े आधिकारिक खरीदार के रूप में उभरा है और अब सोने का हिस्सा विदेशी मुद्रा भंडार में 11 प्रतिशत से अधिक हो गया है।” अधिक कीमतों के कारण ज्वेलरी की मांग में कमी आई है और निवेश बढ़ा है। भारत के साथ वैश्विक स्तर पर सोने पर आधारित ईटीएफ में तेज इनफ्लो दर्ज किया गया है। 2025 की पहली तिमाही में सोने पर आधारित ईटीएफ में 21 अरब डॉलर (226 टन) का नेट इनफ्लो दर्ज किया गया है, जो 2020 की दूसरी तिमाही में आए इनफ्लो के बाद सबसे अधिक है।