Monday, December 23, 2024

गोल्ड ज्वेलरी में अब नहीं हो सकेगी धोखाधड़ी, 1 अप्रैल से बाध्यकारी होगी हॉल मार्किंग

नई दिल्ली। गोल्ड हॉल मार्किंग अब 2 दिन बाद पूरे देश में अनिवार्य हो जाएगी। करीब 2 साल तक ज्वेलर्स को हॉल मार्किंग की बाध्यता से राहत देने के बाद केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल से गोल्ड ज्वेलरी पर हॉल मार्किंग को हर हाल में बाध्यकारी बनाने का मन बना लिया है। सरकार इस बार हॉल मार्किंग की समय सीमा में और विस्तार देने के मूड में नहीं है। माना जा रहा है कि हॉल मार्किंग की बाध्यता लागू होने के बाद गोल्ड ज्वेलरी और गोल्ड ऑर्नामेंट्स के कारोबार में उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी की संभावना खत्म हो जाएगी।

गोल्ड ज्वेलरी और गोल्ड ऑर्नामेंट्स की बिक्री के लिए 2019 से ही हॉल मार्किंग को अनिवार्य किया जाना था। देशभर के तमाम ज्वेलर्स संगठनों ने सरकार से ये कहकर राहत की मांग की थी कि उनके पास गोल्ड ज्वेलरी और गोल्ड ऑर्नामेंट्स का जो पहले से तैयार किया हुआ स्टॉक है, उसे खत्म करने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए, वरना उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। ज्वेलर्स एसोसिएशन की मांग पर हॉल मार्किंग की बाध्यता लागू करने की तारीख पिछले 2 सालों में कई बार बढ़ाई भी गई। अब केंद्र सरकार की ओर से साफ कर दिया गया है कि पुराने स्टॉक को निकालने के लिए ज्वेलर्स को पर्याप्त समय दिया जा चुका है। इसलिए अब इस समय सीमा में आगे कोई विस्तार नहीं किया जाएगा।

गोल्ड हॉल मार्किंग लागू हो जाने के बाद गोल्ड ज्वेलरी या ऑर्नामेंट्स पर 6 अंकों वाला अल्फान्यूमेरिक हॉलमार्क यूनीक आईडेंटिफिकेशन (एचयूआईडी) अनिवार्य हो जाएगा। इससे सोने में मिलावट, उसकी शुद्धता और उसके निर्माता आदि से जुड़ी सभी जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाएगी। इसके साथ ही आम उपभोक्ता जरूरत पड़ने पर देश भर में कहीं भी अपने सोने के गहने को हॉलमार्क में बताई गई शुद्धता के मानक के मुताबिक बेच या एक्सचेंज कर सकेंगे।

गौरतलब है कि अभी तक ज्वेलर्स सिर्फ अपने बेचे गए गहनों को ही अपनी बताई गई शुद्धता के हिसाब से वापस खरीदते हैं। दूसरे ज्वेलर्स के पास से बने गहनों में ज्वेलर बट्टा काट लेते हैं। यानी गहने की शुद्धता को अपने हिसाब से आंक कर उसकी कीमत लगाते हैं। ऐसा होने से उपभोक्ताओं को अक्सर नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही इस बात के भी आरोप लगते रहे हैं कि कुछ ज्वेलर कम शुद्धता यानी अधिक मिलावट वाली ज्वेलरी के अधिक शुद्ध होने का दावा कर उपभोक्ताओं को बेच देते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को नुकसान का सामना करना पड़ता है। हॉलमार्क अनिवार्य होने के बाद अब ज्वेलर्स इस तरह की धोखाधड़ी नहीं कर सकेंगे।

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