नयी दिल्ली – सरकार ने कहा है कि उसका अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों को सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए दिये जाने वाले आरक्षण में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की तर्ज पर क्रीमी लेयर का प्रावधान करने का कोई विचार नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार शाम हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मंत्रिमंडल ने आरक्षण के संबंध में उच्चतम न्यायालय के हाल में आये आदेश पर विस्तार से चर्चा की । उन्होंने कहा कि इस दौरान उच्चतम न्यायालय द्वारा आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में दिये गये सुझावाें पर भी बातचीत हुई। उन्होंंने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार बाबा साहेब के संविधान के प्रति पूरी तरह वचनबद्ध है।
चर्चा के बाद मंत्रिमंडल का सुविचारित मत है कि संविधान के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर के प्रावधान का सरकार का कोई विचार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि यह व्यवस्था संविधान के अनुरूप ही होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में अपने एक आदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में आरक्षण के संदर्भ में जातियों के वर्गीकरण की अनुमति दे दी है। सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ के कुछ न्यायाधीशों ने अपनी टिप्पणियों में इन वर्गों में क्रीमी लेयर के प्रावधान का भी सुझावा दिया है।