नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि सरकार देश को रसायन एवं पेट्रो रसायन उत्पादो के विनिर्माण का प्रमुख केन्द्र बनाने के उद्देश्य से इस क्षेत्र के लिए भी उत्पादकता लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना पर विचार कर सकती है।
श्रीमती सीतारमण ने यहां उद्योग संगठन फिक्की द्वारा आयोजित भारत को वैश्विक रसायन एवं पेट्रो रसायन विनिर्माण का प्रमुख केन्द्र बनाने पर आधारित तीसरे सम्मेलन के शुभारंभ के अवसर पर कहा कि कठोर प्रदूषण नियंत्रण कानून एवं बढ़ते श्रम लागत के मद्देजनर रसायन उद्योग घरेलू स्तर पर बड़ा बाजार होने के बावजूद अपने उत्पादों और उत्पादन क्षमताओं में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है जिससे भारत वैकल्पिक विनिर्माण केन्द्र बनकर रहे सके। उन्होंने कहा कि देश के बड़े घरेलू बाजार के बावजूद उन्होंने कहा कि निर्यात की अपार क्षमता है लेकिन रसायन एवं पेट्रो रसायन उत्पादों के आयात में बढोतरी हो रही है। सरकार भारत को विनिर्माण का प्रमुख वैश्विक केन्द्र बनाने की पक्षधर है और इसके मद्देनजर रसायन एवं पेट्रो रसायन क्षेत्र के लिए भी पीएलआई स्कमी पर विचार किया जायेगा।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इस उद्योग को टिकाऊ उत्पाद, कार्बन उत्सर्जन, आम प्रदूषण और भूमिगत जल प्रदूषण आदि को ध्यान में रखते हुये विनिर्माण क्षकता का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने वर्ष 2047 में एनर्जी इंडिपेंडेंट और वर्श 2070 में नेट जीरो देश बनने का लक्ष्य रखा है और उद्योग को भी इसी को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए।
वित्त मंत्री ने कहा कि हरित विकास पर सरकार ध्यान केन्द्रित कर रही है। कार्बन उत्सर्जन को कम करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके मद्देनजर प्रत्येक क्षेत्र में इसमें हिस्सेदारी करनी चाहिए। ऊर्जा दक्षमता और नवीनीकरणीय ऊर्जा के भारत के वायदे भी बहुत महत्वपूर्ण है। उद्योग को भारत के नेट जीरो के लक्ष्य को ध्यान में रखना चाहिए। हाइड्रोजन मिशन में भी तेजी आ रही है और उद्योग को भी इस पर ध्यान देना चाहिए। सरकार ने देश में उर्त्सजन को कम करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 19744 करोड़ रुपये के प्रोत्याहन की योजना को मंजूरी दी है।
श्रीमती सीतारमण ने चुनौतियों का उल्लेख करते हुये कहा कि टिकाद्य, रिसाइकिलिंग या चक्रीय अर्थव्यवस्था, स्किलिंग और टेक्नॉलाजी अपनाने पर उद्योग को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनियाभर की बड़ी बड़ी पेट्रो रसायन और रसायन कंपनियों भारत में निवेश करना या संयुक्त उपक्रम लगाने की संभावना तलाश रही है।