जयपुर। कोचिंग सेंटर्स के नियामक कानून के लिए राज्य सरकार की ओर से विधानसभा सत्र में बिल लाया जाएगा। राज्य सरकार की ओर से सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट में इस संबंध में जानकारी दी गई। इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 10 फरवरी को तय की है। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश कोचिंग विद्यार्थियों की ओर से आए दिन आत्महत्या की घटनाओं पर लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर दिए।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार कोचिंग सेंटर्स के संचालन के लिए कानून बनाने जा रही है। इसके लिए सभी बिंदुओं पर काम किया जा रहा है और संभावना है कि आगामी विधानसभा सत्र में इस संबंध में बिल पेश कर दिया जाए। महाधिवक्ता के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई 10 फरवरी तक टाल दी। अदालत ने गत सुनवाई को राज्य सरकार को कहा था कि कानून बनने तक फिलहाल कोचिंग सेंटर्स के लिए केन्द्र सरकार की ओर से बनाई गई गाइडलाइन के तहत उनका पंजीकरण किया जाए। इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से जिलों में चल रहे कोचिंग संस्थानों की सूची भी अदालत में पेश की थी। गौरतलब है कि कोचिंग सेंटर्स के विद्यार्थियों की ओर से आए दिन आत्महत्या करने की घटनाओं को देखते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने कुछ सालों पहले स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए मामले की जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई शुरु की थी।