भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्वालियर की फिजा पांच दिनों तक सुर, ताल व राग की बारिश में सराबोर रहेगी। ग्वालियर में आज (रविवार) से भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन संगीत समारोह” का आगाज होने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तानसेन समाधि के समीप ऐतिहासिक महेश्वर किला की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर शाम लगभग 6 बजे सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में आयोजित इस समारोह का शुभारंभ करेंगे। इसी मंच पर बैठकर देश-दुनिया के ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक संगीत सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे।
उद्घाटन समारोह में केन्द्रीय मंत्री सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे। समारोह की अध्यक्षता संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र सिंह लोधी करेंगे। समारोह में मंत्रीगण तुलसीराम सिलावट,प्रद्युम्न सिंह तोमर, नारायण सिंह कुशवाह, सांसद भारत सिंह कुशवाह, विधायकगण डॉ. सतीश सिकरवार, साहब सिंह गुर्जर, सुरेश राजे व मोहन सिंह राठौर एवं महापौर डॉ. शोभा सिकरवार विशेष अतिथि हैं।
प्रात:काल पारंपरिक ढंग से एवं सायंकाल होगा औपचारिक शुभारंभ
“तानसेन समारोह” का सुबह 10 बजे हजीरा स्थित सुर सम्राट तानसेन की समाधि पर शहनाई वादन, ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा एवं मीलाद वाचन से समारोह का पारंपरिक शुभारंभ होगा, जबकि सायंकाल 6 बजे समारोह की मुख्य सभाओं के लिए ऐतिहासिक महेश्वर किला की थीम पर बनाए गए भव्य मंच पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा औपचारिक शुभारंभ किया जाएगा। इसके बाद सांगीतिक सभाओं की शुरुआत होगी।
सायंकालीन सभा 15 दिसम्बर- तानसेन समाधि स्थल
सभा का शुभारंभ पारंपरिक रूप से सायंकाल 7 बजे शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इस सभा में भारती प्रताप बैंगलुरू का गायन होगा। इस सभा में विश्व संगीत के तहत यूजी नाकागावा एवं शिगेरू मोरियामा जापान की प्रस्तुति होगी। साथ ही पं. राहुल शर्मा मुम्बई का संतूर वादन भी होगा।
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बनेगा
संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति में आयोजित हो रहे शताब्दी समारोह में एक नए आयाम के रूप में वृहद शास्त्रीय बैंड की इस समवेत प्रस्तुति को जोड़ा गया है। इस अद्भुत समवेत प्रस्तुति में नादब्रम्ह के लगभग 350 साधक एक साथ विभिन्न वाद्य यंत्रों का वादन करेंगे। संगीत के क्षेत्र में भारत को वैश्विक पहचान दिलाने के लिये इस प्रस्तुति को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने के प्रयास भी होंगे। वृहद शास्त्रीय बैंड की इस प्रस्तुति में बाँसुरी, सितार, सरोद, संतूर, शहनाई, बायलिन, सारंगी व हार्मोनियम इत्यादि वाद्य यंत्रों से मधुर धुनों की बारिश होगी तो तबला व पखावज की थाप के साम्य से शहर की फिज़ा में सुर संगीत के नए रंग भरेंगे।
मुख्य समारोह में 10 संगीत सभाएँ होंगी
तानसेन संगीत समारोह में इस साल 10 संगीत सभाएं होंगी। पहली सभा आज सायंकाल तानसेन समाधि परिसर में बनाए गए भव्य मंच पर सजेगी। इसके बाद हर दिन यहीं पर प्रातः एवं सायंकालीन सभाएं होंगी। समारोह के तहत 18 दिसम्बर को प्रात:काल 10 बजे से दो संगीत सभाएं समानांतर रूप से सजेंगी। यह सभाएं तानसेन समाधि स्थल के मुख्य मंच व मुरैना जिले के सुप्रसिद्ध बटेश्वर मंदिर परिसर में सजेगी। समारोह के आखिरी दिन 19 दिसंबर को प्रातःकालीन सभा संगीत शिरोमणि तानसेन की जन्मस्थली बेहट में और इस साल के समारोह की अंतिम संगीत सभा सायंकाल गूजरी महल परिसर में सजेगी।
प्रख्यात तबला वादक पं. स्वपन चौधरी तानसेन अलंकरण से होंगे विभूषित
अलंकरण समारोह का आयोजन 18 दिसम्बर को सायंकाल 6 बजे तानसेन समाधि परिसर में मुख्य समारोह के भव्य मंच पर आयोजित होगा। देश के ख्यातिनाम तबला वादक पं. स्वपन चौधरी कोलकाता को वर्ष 2023 के तानसेन सम्मान से विभूषित किया जायेगा। इसी तरह वर्ष 2023 के राजा मानसिंह तोमर सम्मान से सानंद न्यास इंदौर को अलंकृत किया जायेगा।