मेरठ। सुप्रीम कोर्ट ने मेरठ सेंट्रल मार्केट ध्वस्तीकरण के आदेश दिए हैं। लेकिन अगर आवास विकास समय रहे अवैध निर्माण रोक देता तो शायद ये हालात नहीं बनते। आवास विकास परिषद अवैध निर्माण रोकने में नाकाम साबित रहा। सेंट्रल मार्केट मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से व्यापारी बेचैन हैं और अफसर भी सहमे हुए हैं। अफसर अवैध निर्माण रोकने के लिए महज नोटिस काटकर फाइलों में खानापूर्ति कर रहे हैं। हकीकत यह है कि विभाग के आसपास आवासीय भवनों में ही कई अस्पताल, रेस्टोरेंट, बेकरी ही नहीं कोठियों में हैंडलूम तक का कारोबार हो रहा है। सेंट्रल मार्केट मामले में फाइलें टटोली गईं।
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शास्त्रीनगर के सेंट्रल मार्केट में अवैध कॉम्प्लेक्स के सुप्रीम कोर्ट के ध्वस्तीकरण आदेश के बाद से व्यापारी बेचैन हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 661/6 आवासीय भवन में 24 दुकानें बन जाने के मामले में यह आदेश दिया है। इससे पहले शास्त्रीनगर में सर्वे के आदेश दिए थे, जिसमें 1473 आवासीय भवन ऐसे हैं, जिनमें व्यावसायिक गतिविधियां हो रही हैं। माधवपुरम और जागृति विहार में 822 अवैध निर्माण की फेहरिस्त है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से व्यापारी लगातार अफसरों को अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं अफसर इसे दशकों पुराना मामला बता रहे हैं और मौजूदा समय में आसपास के अवैध निर्माण को लेकर महज नोटिस जारी करने की बात कर रहे हैं।
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मुख्य मार्ग ही नहीं गलियों में खुल गए शोरूम-दुकानें
रंगोली से आरटीओ की ओर जाने वाले मार्ग पर ही आवास विकास एवं परिषद का दफ्तर है। इसके पास ही आवासीय भवनों में कॉम्प्लेक्स तैयार हो गए हैं। इनमें रेस्टोरेंट, बेकरी, कन्फेक्शनरी, जूस-फर्नीचर की दुकानें, नामी कंपनियों के आउटलेट, बाथरूम फिटिंग व होम डेकर के शोरूम तक कोठियों में खुले हैं।