देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उन विधायकों को अपने एक बयान के माध्यम से लताड़ा है, जो बजट सत्र गैरसैंण में न करने के पक्षधर हैं। हरीश रावत ने साफ कहा कि जिन विधायकों को हिमालयी राज्य में ठंड लगती हो, उन्हें मैदानी राज्यों में चले जाना चाहिए।
रविवार को हरीश रावत ने कहा, “यदि देहरादून में बजट सत्र होगा, तो जिस दिन यह सत्र होगा मैं एक घंटा देहरादून में गांधी जी के प्रतिमा के नीचे एक घंटा मौन उपवास रखूंगा। उन्होंने साफ कहा कि उत्तराखंड राज्य की दो राजधानियों में नेताओं के कारण गैरसैंण गैर हो गया है”।
उत्तराखंड सरकार आगामी वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट को लेकर विधानसभा बजट सत्र इस माह के अंत मे आहूत करने जा रही है। सत्र की तिथि अभी निर्धारित नहीं है। 26 फरवरी से देहरादून में ही बजट सत्र आहूत किए जाने की चर्चा है। विधानसभा सत्र की तिथियों की घोषणा होने से पहले ही गैरसैंण में विधानसभा सत्र आहूत करने की चर्चाएं चलीं, लेकिन सरकार ने देहरादून में बजट सत्र करने का निर्णय लिया है। इसके लिए तमाम विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजे थे कि बजट सत्र गैरसैंण में न कराकर देहरादून में कराया जाए। सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई विधायकों ने गैरसैंण में ठंड का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि गैरसैंण में बहुत ज्यादा ठंड है।
इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा जिन विधायकों को हिमालय राज्य में ठंडा लगता है,उनको किसी गैर हिमालय राज्य में चला जाना चाहिए। हरीश रावत ने कहा कि पार्लियामेंट के अधिनियम तहत हमारा राज्य बना जिसके अंतर्गत हमारे राज्य को हिमालय राज्य रूप में ही हमारे राज्य का रजिस्ट्रेशन /घोषित किया गया। हिमालयी राज्य में बर्फ भी गिरेगी ,चढ़ाई भी होगी , जंगल भी होंगे ,बारिश भी होगी। यह तो स्वभाव है हिमालय का, जो विधायक हिमालय के स्वभाव के साथ नहीं चल पा रहे हैं।
उन्होंने सरकार पर सवाल करते हुए कहा कि यह सरकार की एक स्पॉन्सर्ड योजना थी ताकि बजट सत्र गैरसैंण में ना हो। सरकार को गैरसैंण बजट सत्र पर फैसला करना चाहिए था। मैं तो कहता हूं कि सरकार इस पर आज भी फैसला करें और सत्र के लिए गैरसैंण चलें। हरीश रावत ने कहा जिस दिन देहरादून में बजट सत्र होगा, उस दिन मैं 1 घंटा देहरादून में गांधी जी की प्रतिमा के नीचे मौन उपवास रखूंगा।