चंडीगढ़। हरियाणा के भाजपा अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) से हरियाणा को पूरा पानी नहीं दिए जाने के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने हरियाणा को पंजाब से मिलने वाले 4,000 क्यूसेक पानी में कटौती न करने की मांग की। साथ ही उन्होंने पंजाब के सीएम भगवंत मान से कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह अच्छी बात है कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि पानी हरियाणा को देना चाहिए। सिंधु जल समझौते के तहत लगे प्रतिबंध के बाद जब पानी आएगा तो हरियाणा को मिले, यह अच्छी बात है।
उन्होंने कहा कि पंजाब से हरियाणा के हिस्से के 4,000 क्यूसेक पानी जो मिलता रहा है, उसमें कटौती न की जाए। हम पंजाब के सीएम से निवेदन करते हैं कि हरियाणा को पानी पूरा मिलता रहे। मोहनलाल बड़ौली ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी पंजाब के सीएम से इस विषय पर बातचीत की है। फिर भी इसके बाद यदि कोई अधिकारी कोताही बरतता है, तो पंजाब के सीएम को उस अधिकारी के ऊपर संज्ञान लेना चाहिए और उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पानी उपलब्ध है। हरियाणा का पानी रोकना नहीं चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यदि कोई अधिकारी पानी कम देकर, जानकारी गलत देता है तो सीएम को उसकी जांच करानी चाहिए। यदि हरियाणा को पानी कम मिलेगा, तो राज्य के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी चिंतित होंगे, क्योंकि पीने का पानी इसमें बड़ी मात्रा में है।
जानकारी के अनुसार, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की तरफ से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को बीबीएमबी से हरियाणा के हिस्से का पूरा पानी देने को लेकर पत्र लिखा गया था। मुख्यमंत्री सैनी ने अपने पत्र में कहा था कि उन्होंने 26 अप्रैल को भगवंत मान को फोन कर स्थिति से अवगत कराया था और उन्हें बताया था कि बीबीएमबी की तकनीकी समिति द्वारा हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान को पानी छोड़ने का जो निर्णय 23 अप्रैल को लिया गया था, उसका क्रियान्वयन पंजाब के अधिकारी टाल रहे हैं। इस पर मुख्यमंत्री मान ने उन्हें स्पष्ट आश्वासन दिया था कि वे अपने अधिकारियों को तुरंत निर्देश देंगे और अगले दिन तक उस निर्णय को लागू करवा देंगे। हालांकि, सैनी ने आरोप लगाया कि अगले दिन 27 अप्रैल को दोपहर 2 बजे तक पंजाब की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई, और यहां तक कि हरियाणा के अधिकारियों के फोन कॉल्स का भी जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्हें मजबूरन मुख्यमंत्री मान को एक औपचारिक पत्र लिखकर इन तथ्यों से अवगत कराना पड़ा।