Tuesday, April 23, 2024

राजीव गांधी फाउंडेशन का एफसीआरए पंजीकरण रद्द करने पर हाईकोर्ट ने केंद्र को दिया नोटिस

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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा दायर याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है। इन याचिकाओं में दोनों संगठनों ने सरकार द्वारा उनके फॉरेन कंट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) पंजीकरण रद्द करने को चुनौती दी है।

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी इन दोनों गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की प्रमुख हैं।

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आरजीएफ के ट्रस्टियों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शामिल हैं।

न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने इस बात पर असंतोष व्यक्त करते हुए नोटिस जारी किया कि सिर्फ नोटिस जारी करने में आठ सुनवाई का समय लगा क्योंकि सरकार ने कम से कम चार मौकों पर स्थगन का अनुरोध किया था।

पीठ ने टिप्पणी की, यह एक नियमित प्रथम अपील (आरएफए) है। इसे तुरंत खारिज नहीं किया जा सकता है। आठ तारीखें पहले ही बीत चुकी हैं। हमें थोड़ा व्यावहारिक होना चाहिए.. आठ तारीखें सिर्फ इसके लिए।

इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 23 अगस्त को निर्धारित की।

यह मामला शुरू में जनवरी 2023 में अदालत के सामने आया, लेकिन बेंच की अनुपलब्धता के कारण इसे कई बार स्थगित कर दिया गया।

जब मामले को अंतत: 3 फरवरी को सुनवाई के लिए लिया गया, तो सरकारी वकील ने यह कहते हुए स्थगन की मांग की कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस मामले में पेश होंगे।

आरजीएफ का एफसीआरए पंजीकरण अक्टूबर 2022 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा कथित रूप से विदेशी फंडिंग कानून का उल्लंघन करने के कारण रद्द कर दिया गया था।

गृह मंत्रालय के अनुसार, विदेशी फंडिंग नियमों के उल्लंघन के कारण फाउंडेशन का एफसीआरए लाइसेंस रद्द किया गया है। गृह मंत्रालय ने इसकी जांच के लिए 2020 में एक समिति का गठन भी किया था। यह फैसला उसी जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, आरजीएफ जुलाई 2020 में जांच के दायरे में आया था। इसके बाद एमएचए ने गांधी परिवार से जुड़े आरजीएफ सहित एनजीओ की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया था। फाउंडेशन पर संदिग्ध एफसीआरए उल्लंघन और आयकर रिटर्न में छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था।

आरजीएफ की स्थापना 1991 में हुई थी। कई वर्षों तक इस फाउंडेशन ने स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, महिलाओं, बच्चों और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम किया।

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