-कनक तिवारी
क्या आप पैंतीस पार कर चालीस के मोड़ पर खड़ी हैं या चालीस पार कर चुकी हैं तो निराश होने की आवश्यकता
नहीं। आप जीवन के एक शाही मोड़ पर हैं जहां परिपक्व बुद्धि, अनुभव, सलीके, भावनाओं में संतुलन और
जल्दबाजी की जगह एक ठहराव से आपका व्यक्तित्व भव्य हो उठा है या हो सकता है।
यदि आपके बालों में सफेदी आ गई है तो घबराने की जरूरत नहीं। यह भी व्यक्तित्व की प्रौढ़ता और अनुभव का
प्रतीक है। आप से लोग अब सलाह लेना चाहेंगे, आपकी इज्जत करेंगे पर तभी जब आप अपने को अनुपयोगी न
समझें और किसी न किसी समाजोपयोगी कार्य में व्यस्त रहें।
इसी समय आप साहित्य, अभिरूचियां, राजनीति, समाज सेवा आदि उन कार्यो के लिये अधिक समय निकाल सकती
हैं जो पहले गृहस्थी के चक्करों के कारण सम्भव नहीं हो पाता था। इससे आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा
होगा। आपके स्वास्थ्य और सौंदर्य में धीरे-धीरे हृास प्राकृतिक नियम है पर सावधानी बरतने पर उसे तेजी से
गिरने से बचाया जा सकेगा और आपके असमय बूढ़े होने की नौबत नहीं आएगी।
आप अकेली बैठी शीशे के सामने स्वयं में बुढ़ापे के चिन्ह पाकर निराश होने लगती हैं। आप जल्दी थक जाती हैं और
स्वयं को अनाकर्षक समझने लगती हैं।
आप ही नहीं, इस उम्र में अधिकांश महिलाएं यह सोचती हैं और इस सोच का असर आपके स्वभाव और आचरण पर
पड़ना स्वाभाविक है। फिर किसी दिन किसी अपनी ही उम्र की चुस्त, प्रसन्न महिला को देखकर आप उसकी तरह
बनने का संकल्प लेती हैं लेकिन उसे पूरा नहीं कर पाती क्योंकि आप एकदम से नकल करने की कोशिश करती
हैं। यह नहीं सोचती कि व्यक्तित्व साधना वर्षों के प्रयत्न का फल है।
आप किसी भी उम्र में यह साधना शुरू कर सकती हैं। भले ही देर होने पर फल कम मिले लेकिन निष्फल कभी नहीं
होगी। क्या यह मेरे संजने-संवरने की उम्र है-इस दृष्टिकोण को बदलें।
हर मनुष्य की एक शारीरिक आयु होती है, एक मानसिक और एक भावनात्मक। उम्र बढ़ने पर भी मन से आप
जवान रह सकती हैं। यह आपके सोचने के ढंग पर निर्भर करता है। मन की इच्छा शक्ति ही आपको जवानांे
की तरह रखने की वास्तविक शक्ति होगी। अतः आयु, समाज, जीवन के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलिए।
उम्र का प्र्रभाव रीढ़ और घुटनों पर प्रायः सबसे पहले पड़ता है, अतः सोते समय ढीली चारपाई पर घुटने सिकोड़ कर
कभी न सोए। कड़े तख्त पर सोएं ताकि रीढ़ की हड्डी और घुटने सीधे रहें। मूढ़े, कुरसी, चारपाई पर बैठते समय
और काम करते समय सीधी तनकर बैठें। इससे कमर दर्द, पीठ दर्द की शिकायत कम से कम होगी और स्तन
भी ढीले होकर नीचे नहीं लटकेंगे।
चेहरे के लिए साप्ताहिक मालिश करने का क्रम जारी रखें और पन्द्रह दिन बाद या एक महीने बाद एक बार
’फेशियल‘ भी लें।
नित्य सुबह शाम थोड़ी दूर पैदल चलने का क्रम भी अवश्य रखना चाहिए। सुबह खुली हवा में सांस लेने का व्यायाम
भी करें ताकि श्वांस की बीमारियां न घेरें।
चालीस के बाद भोजन:- बढ़ती उम्र में असंतुलित भोजन से स्वास्थ्य में गड़बड़ी होती है। आपका भोजन हल्का,
पौष्टिक और संतुलित होना चाहिए। चालीस के बाद चिकनाई और चीनी की मात्रा इतनी ही लें जितनी कि शक्ति
बनाए रखने के लिये कम से कम चाहिए। प्रोटीन की मात्रा भी अब अधिक नहीं लेनी चाहिए। दूध एक-एक कप
दो बार लें या एक कप दूध और अंडा। बस इतना अतिरिक्त प्रोटीन काफी है क्योंकि दालों मेवों से भी प्रोटीन
मिलेगा।
घी मक्खन की मात्रा आपके लिए दिन भर में दो चम्मच पर्याप्त है पर रोटी, दाल, चावल, भाजी के सामान्य भोजन
के साथ खनिज तत्व व विटामिन आपके भोजन में पर्याप्त हों, यह ध्यान अवश्य रखें। कैल्शियम से हड्डियां
मजबूत रहती हैं। विटामिन ’सी‘ दांतों की मजबूती के लिये आवश्यक है। लौह तत्व तो जैसे बुढ़ापे की लाठी ही
है। विटामिन ’बी‘ स्नायुमंडल आंखों की ज्योति के लिए बहुत जरूरी है। ये ही खनिज विटामिन बालों के लिये भी
चाहिए। भोजन में इन तत्वों की कमी और मानसिक तनाव, अनिद्रा आदि कारणों से ही बालों में जल्दी सफेदी
आती है।
समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण करवाती रहें। यदि आपको सफेद बाल पसन्द नहीं हैं तो ’डाई‘ करवाने में कोई हर्ज
नहीं।
त्वचा की मालिश और फेशियल के द्वारा झुर्रियों को दूर रखें। झुर्रियों वाली खुश्क त्वचा पर ग्लिसरीन युक्त साबुन
का प्रयोग करें या मलाई में बेसन फेंटकर मुंह धो डालें।
मेकअप और वेशभूषा:- इस आयु में न तो आप अस्त व्यस्त रहें, न ही युवतियों की तरह गहरे मेकअप और चटकीली
वेशभूषा से बनी-ठनी। दोनों ही स्थितियों में आप आलोचना के द्वार खोलेंगी।
आप मेकअप जरूर करें लेकिन हल्का। त्वचा से मेल खाता हल्के रंग का फाउंडेशन लगाएं। लिपस्टिक भी हल्के
नेचुअल रंग की प्रयोग करें। आंखों में गुलाबजल या कोई अच्छा सा लोशन डालते रहने से आपकी आंखों की
चमक बुझेगी नहीं, बनी रहेगी।
केश सज्जा शैली भी अपनी आयु और चेहरे की स्थिति के अनुरूप सादी, शालीन, सुविधाजनक और गरिमामयी ही
अपनाएं।
वेशभूषा भी शालीन, सादगीपूर्ण और सभ्रान्त हो। आभूषण भी हल्के व कम पहनिए।
अपने व्यक्तित्व के प्रभाव और आकर्षण को बनाए रखना इस समय आपका सबसे बड़ा उद्देश्य होना चाहिए।
सार्वजनिक क्षेत्रा में अपना दायरा बढ़ाए। दूसरों के सुख दुख में शरीक हों। लोग आपकी प्रशंसा करेंगे और सम्मान
देंगे। आपके परिवार का सम्मान भी बढ़ेगा। आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
आपके व्यक्तित्व के आचरण का यह सौंदर्य ही चालीस साल के बाद के जीवन का सौंदर्य बन जाएगा। उम्र बढ़ने के
साथ प्राकृतिक सौंदर्य और स्वास्थ्य में हानि उठाकर भी जीवन का यह सौंदर्य आपको सौंदर्यवान रखेगा, प्रयत्न से
इसे जुटाकर देखिए तो। (स्वास्थ्य दर्पण)