Friday, May 3, 2024

हृदय रोग के कारण व प्राकृतिक उपचार

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हृदय एक मुटठी के आकार का विशेष अंग है। इसका वजन करीब 300 ग्राम वजन होता है। सबसे सुदृढ़ मांसपेशियों से बना होता है।

हृदय का कार्य है:- शरीर के सभी अंगों को रक्त पहुंचाना। मुटठी बंद करना खोलना जैसे ही हृदय का पम्प होता है। यह 1 मिनट में 70 से 8० बार धड़कता है। एक मिनट में 4 से 6 लीटर रक्त शरीर को पम्प करता है और लगभग 24 घंटों में 8000 लीटर रक्त शरीर में पहुंचाता है। शारीरिक श्रम, व्यायाम, दौड़ व भाव उत्तेजना के समय हृदय की धड़कन बढ़ जाती है, उसे अधिक रक्त उड़ेलना पड़ता है।

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हृदय रोग के कारण:- जब हृदय की कुछ धमनियां अपना लचीलापन खो देती हैं और उनकी दीवारें कड़ी और मोटी हो जाती हैं तो उनमें रक्तचाप ऊंचा हो जाता है जिससे हृदय पर दबाव व तनाव बढ़ जाता है।
भोजन में वसा, कोलेस्ट्रोल’ एवं धमनी रक्तावरोध के बीच एक संबंध है। कोलेस्ट्रोल वसा की भांति एक पदार्थ है जो पशुओं की चर्बी, तेल, घी, अंडा और मानव शरीर के कुछ ग्लैंड्स में पाया जाता है। जब कोलेस्ट्रोल रक्त वाहिकाओं में जमा हो जाता है तब रक्त संचार में बाधा पड़ती है और दिल का दौरा पड़ सकता है।

शराब, धूम्रपान, चाय, कॉफी का अधिक सेवन भी हृदय रोग का कारण है।
मानसिक तनाव, गुस्सा, झगड़ा, जुए या लॉटरी की हार जीत अत्यधिक रति-क्रीड़ा भी हृदय रोग को जन्म देती है।
मोटापा एक खास कारण है।

लक्षण:- सीने में अचानक जोर का दर्द उठना, बाएं बाजू की तरफ फैलता सा लगना, शरीर में भारीपन, चेहरा पीला पडऩा, शरीर एकदम ठंडा, जी मिचलाना, उलटी आना, सांस लेने में मुश्किल होना।

उपचार:- 1. योगाभ्यास , आसन शवासन, शिथिलासन, भुजंग आसन,मकर आसन, पादोत्तान आसन, गोमुख आसन, कोण आसन, जानुशिर आसन करें।
प्राणायाम:- अनुलोम विलोम करें तथा गहरे लंबे श्वास लें।

ध्यान:- मन को काबू में करने तथा पूर्ण शांति पाने का साधन है। कम से कम आधा घंटा नियमित अभ्यास करें।
संतुलित भोजन:- शुद्ध सात्विक आहार, नियमित समय पर लें। सुबह 10 बजे तथा शाम सूर्यास्त के डेढ़ घंटे के भीतर करीब बजे खाना खा लें।
खाने के बाद 15 मिनट शवासन में लेटें। सीढिय़ां चढ़ते समय पहले दायां पांव पहले रखें। हर 3 सीढ़ी के बाद रूकें, फिर चढ़ें।

नाश्ता सवेरे 7 से 9 तक:- संतरे, लौकी का रस तुलसी-पोदीना डालकर लें।
दूध डबल टोंड मक्खन निकला हुआ लें।
अंकुरित अन्न या दालें आधा कप बिना नमक लें।
कच्चा लहसुन खाली पेट 2-3 टुकड़े लें। मेथी दाना भी ले सकते हैं।

अर्जुन छाल या अमृत पेय छोटी इलायची डाल कर ले।
दोपहर का भोजन 12 से 1 बजे तक
मौसम की कच्ची सब्जियां मूली, गाजर, ककड़ी, खीरा, टमाटर।
1 कप सब्जियों का सूप बिना नमक गेहूं की चपाती इच्छानुसार कम मात्रा में लें।
हरी पत्तेदार सब्जियां लें।
छाछ आदि।

शाम 7 बजे:- आवश्यकतानुसार हल्का व कम मात्रा में भोजन लें।
विशेष निर्देश
खाने में ‘सफोला तेल’ का इस्तेमाल करें।
एक सेब रोज लें। सेब का मुरब्बा अच्छा है।
भुने चने, अखरोट, बादाम, किशमिश, अजवाइन अच्छे हैं।

ताजे मौसमी फल पपीता, अमरूद, अन्नानास अच्छे हैं।
नारियल पानी ले सकते हैं।
पूरे दिन में नमक केवल 2 ग्राम लें।
बादाम रोगन की कुछ बूंदें  प्रतिदिन नाक में डालें। सुबह पेट पर गीली पट्टी बांध सकते हैं।
– सरोज कपूर

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