लड़कियां अपने शरीर को दुबला-पतला बनाने के लिए किशोरावस्था में ही डायटिंग शुरू कर देती हैं। वे इतना कम खाती हैं कि जल्दी ही कुपोषण का शिकार हो जाती हैं। वे पौष्टिक आहार खाना तो लगभग बंद ही कर देती हैं, जिसका नतीजा यह होता है कि दुबली होने के साथ-साथ उनका शरीर बेजान-सा हो जाता है।
दूसरी तरफ लड़के ‘बॉडी बिल्डर’ बनने की चाह में खनिज विटामिनयुक्त पदार्थों का अधिक सेवन करने लगते हैं जिससे उन्हें हानि ही होती है। उनके शरीर पर अतिरिक्त चर्बी की परत चढ़ जाती है। वैसे भी आजकल के लड़के-लड़कियां घर की रोटी सब्जी खाना कम पसंद करते हैं। वे बर्गर, चीज, सैंडविच, समोसा, ब्रेड पकौड़ा, आइसक्रीम व पिजा आदि खाना अधिक पसंद करते हैं। यह सामग्री बच्चों के लिए हानिकारक सिद्ध होती है।
माता-पिता बच्चों को ऐसी चीजें खाने से रोकते हैं तो वे जिद्द में घर का बना भोजन भी बंद कर देते हैं जिससे माता-पिता की परेशानी और भी बढ़ जाती है। ऐसे में वे समझ नहीं पाते कि बच्चों के खान-पान के ढंग को कैसे बदला जाए। आइए इस पर विचार करें।
सबसे पहले तो माता-पिता को चाहिए कि वे अपने खान-पान की तरफ ध्यान दें। अगर वे नहीं चाहते कि उनके बच्चे बर्गर्स, पिजा आदि खाएं तो उन्हें घर में भी ये चीजें नहीं लानी चाहिए। यह न हो कि आप अपने बच्चे से दाल-चावल खाने की उम्मीद रखें और खुद उनके सामने समोसा, डोसा या अन्य ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
यह भी नहीं होना चाहिए कि आप बच्चों को एकदम ही ऐसी चीजें देना बंद कर दें। उनमें धीरे-धीरे पौष्टिक भोजन खाने की आदत डालें। वे अपनी रूचि के पदार्थ अगर रोज खाते हैं तो उन्हें सप्ताह में एक-दो बार ही खाने को दें। उन्हें प्यार से ऐसे भोजन की हानियां व संतुलित भोजन के लाभ बताएं। कभी-कभी बच्चों को बर्गर, समोसा, चिप्स आदि घर में बनाकर दें।
बर्गर के साथ टमाटर एवं सलाद का प्रयोग करें। भोजन के बाद मिठाई की बजाय बच्चों में ताजा फल व दही आदि खाने की आदत डालें। बच्चों को सही समय पर खाना-खाने की आदत डालें। निर्धारित समय पर ही बच्चों को खाना दें। यह न हो कि आप अपनी व्यस्तता के चक्कर में उन्हें भूख लगने से पहले ही खाना खिला दें और जब उसे भूख लगे तो आप उसे खाना न दें। बच्चों को कौन-सी चीज भोजन से पहले व भोजन के बाद देनी है, इस बात का ध्यान रखें।
हां, इस बात पर भी गौर करें कि अधिक वसायुक्त खाद्य पदार्थ बच्चों में अतिरिक्त चर्बी बढ़ाते हैं। अत: उनके भोजन में चर्बीयुक्त पदार्थों को कम कर दें। अण्डे, चॉकलेट, मक्खन आदि खाद्य पदार्थों में चर्बी होती है। इनके अतिरिक्त क्रीम सूप, क्रीम सॉस, फ्राइड पदार्थ, चीज आदि में अधिक चर्बी होती है। अत: इन पदार्थों का प्रयोग बहुत कम करना चाहिए।
अधिक नमक खाने की आदत पर भी अंकुश लगाना चाहिए क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अधिक नमक खाने से ब्लडप्रेशर की शिकायत हो सकती है। चिप्स, नमकीन व अचार आदि में इसकी मात्रा अधिक होती है, इसलिए इनका सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए।
माता-पिता को चाहिए कि वे अपने किशोर उम्र के बच्चों के खान-पान पर विशेष ध्यान दें। इसके लिए उन्हें खुद भी थोड़ा परिश्रम करने की आवश्कता है। उन्हें चाहिए कि वे बच्चों को पसंद, नापसंद व संतुलित भोजन (जो वे उसे देना चाहते हैं) की सूची बना लें।
फिर उस सूची के अनुसार उसके भोजन में पौष्टिक व नये पदार्थो की मात्रा अधिक व उसकी पसंद के पदार्थों की मात्रा कम कर दें। ध्यान रहे कि पौष्टिक भोजन भी स्वादिष्ट बनाने का प्रयत्न कर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में खाने को दें। ऐसे प्रयास कर आप वास्तव में ही बच्चों के खान-पान की आदत को सुधार सकते हैं।
– भाषा गुप्ता