लखनऊ। नगर निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी पार्टियां अपने-अपने ढंग से चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं। अभी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने सोमवार को कहा कि निकाय चुनाव की तैयारी पार्टी ने पूरी कर ली है। हम चुनाव जीतेंगे। लेकिन सवाल यह है कि एक तरफ भाजपा ने हर बूथ पर अध्यक्ष नियुक्त कर दिये हैं। वहीं समाजवादी पार्टी के अभी तक प्रदेश में लगभग 35 जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष ही नियुक्त नहीं हैं। ऐसे में वह भाजपा का टक्कर कैसे दे पाएगी।
यदि 2017 के निकाय चुनावों को देखें तो नगर पालिका और नगर पंचायतों में भाजपा, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की अपेक्षा बहुत आगे थी। नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद पर भाजपा ने जहां सौ सीटों पर कब्जा किया था, वहीं समाजवादी पार्टी के खाते में 83 सीटें आयी थीं, जबकि बसपा ने 45 पर कब्जा जमाया था। वहीं नगर पालिका अध्यक्ष पद पर भाजपा ने 67 सीटों पर कब्जा जमाया था, सपा के खाते में 45 सीटें आयी थीं, जबकि बसपा 27 पर सिमट गयी थी।
ऐसी स्थिति में मुख्य विपक्षी पार्टी चुनाव सिर पर आने के बावजूद जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों की नियुक्ति नहीं कर पायी है तो वह इसको लेकर कितना गंभीर है और आगे इस चुनाव को दिन-रात एक कर चुनाव प्रचार में जुटी भाजपा का सामना कैसे कर पाएगी, यह आने वाला समय बताएगा। वर्तमान में समाजवादी पार्टी के पास कोई ऐसा मुद्दा भी नहीं दिख रहा है, जिसको लेकर माहौल को भाजपा के खिलाफ किया जा सके।
इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार अनिल सिंह राणा का कहना है कि समाजवादी पार्टी या अन्य पार्टियां यह नहीं समझ पा रही हैं कि उनके सामने पहाड़ जैसी ऊंचाई है, जिसे लाघंना आसान नहीं है। उसके लिए बहुत मेहनत की जरूरत है। वह मेहनत ये पार्टियां कर नहीं पा रही हैं। अब नगर निकाय चुनाव को ही देख लीजिए। मतदाताओं को जोड़ने से लेकर एक-एक बूथ तक भाजपा ने होम वर्क तैयार कर लिया है। जब उसके प्रत्याशी मैदान में होंगे तो पूरा डाटा उसके पास होगा, लेकिन दूसरे दलों के प्रत्याशी मैदान में आने के बाद यह तैयार करने का सिलसिला शुरू करेगा। ऐसे में वे कैसे भाजपा के सामने चुनाव जीतने की बात सोच सकते हैं।