सहारनपुर/बेहट। सहारनपुर में अपनी पैतृक संपत्ति के विवाद से आहत किसान ने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि दूसरे पक्ष के दबाव में प्रशासन गलत तरीके से विवादित भूमि पर दूसरे पक्ष को काबिज कराना चाहता है। प्रशासन यदि विवादित भूमि को लेकर कार्रवाई करता है तो वह परिवार सहित आत्महत्या करेगा जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन व विपक्ष की होगी।
मामला बेहट तहसील क्षेत्र के गांव खेड़ी मुस्तकम का है। जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज कराई गई शिकायत में पीड़ित किसान इसमसिंह पुत्र दिलाराम ने बताया कि गांव में उसकी पैतृक कृषि भूमि हैं जिसमें विपक्षी प्रीतम सिंह व पहलसिंह आदि ने वर्ष 2006 में संपत्ति को अपनी बताते हुए एसडीएम कोर्ट में केस दर्ज किया था। कोर्ट ने 22-07-2020 को मेरे पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवादित संपत्ति का मालिकाना हक मुझे दे दिया था।
दूसरे पक्ष ने सहारनपुर कमिश्नरी में अपील दायर कर एसडीएम के आदेश को चुनौती दी थी। पीड़ित का आरोप है कि अधिकारियों से सांठ-गांठ कर एसडीएम के आदेश को रद्द करा दिया गया। इस आदेश से आहत पीड़ित किसान ने हाईकोर्ट इलाहाबाद बोर्ड में अपील की जहां न्यायालय में मामला विचाराधीन हैं बावजूद इसके विगत शनिवार को दूसरे पक्ष ने तहसील प्रशासन को साथ लेकर उसकी पर कब्जा करने का प्रयास किया गया। विरोध करने पर टीम तो वापिस लौट गयी परन्तु उसे दूसरे पक्ष की ओर से लगातार धमकियां दी जा रही हैं या तो जमीन छोड़ दो वरना अंजाम भुगतने को तैयार हो जाये।
दबंगों की दबंगई व प्रशासन की कार्रवाई से आहत पीड़ित किसान ने चेतावनी दी है कि यदि उसे न्याय नहीं मिला तो वह परिवार सहित आत्महत्या करेगा जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन व विपक्ष के लोगों की होगी। किसान का यह भी कहना है कि उन्हें योगी सरकार से न्याय की उम्मीद है। जो लोग न्यायालय में विचाराधीन केस में हस्तक्षेप कर रहे हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। इस मामले को लेकर नायाब तहसीलदार संजय कुमार का कहना है कि एसडीएम के आदेश पर फोर्स के साथ गांव गये थे परन्तु जब मामला कोर्ट में विचाराधीन होने की जानकारी मिली तो वह वापिस लौट आए और दोनों पक्ष के लोगों को साक्ष्य के साथ तहसील बुलाया गया हैं।
इस संबंध में एसडीएम दीपक कुमार ने बताया कि शनिवार को थाने में आयोजित समाधान दिवस के मौके पर एक पक्ष ने भूमि पर अवैध कब्जे की शिकायत की थी जिस पर उनके द्वारा नायब तहसीलदार व फोर्स को मौके पर भेजा गया था लेकिन वहां मामला न्यायालय में विचाराधीन होने की जानकारी मिली जिस पर टीम वापस आ गई। दोनों पक्ष के लोगों को साक्षय के साथ तहसील भुला गया है, ताकि समस्या का समाधान हो सके।