मेरठ। अगर माँ मुस्कुरा रही है, तो बच्चा खिलखिला कर जन्म लेगा… लेकिन अगर माँ का मन उदास है, तो उसकी परछाईं बच्चे पर भी पड़ती है।”कुछ ऐसे ही असरदार अंदाज़ में सुभारती मेडिकल कॉलेज में आयोजित सेमिनार में डॉ. राहुल बंसल ने गर्भवती महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य और अजन्मे बच्चों पर उसके असर की बात रखी।
कम्युनिटी मेडिसन विभाग के प्रोफेसर डॉ. बंसल ने बताया कि गर्भ में पल रहे शिशु का रिश्ता सिर्फ गर्भनाल से नहीं, माँ की सोच, भावना और व्यवहार से भी जुड़ा होता है। उन्होंने ‘स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य’ विषय पर बोलते हुए कहा, “अगर माँ उम्मीदों से भरी है, तो बच्चा भी स्वस्थ होगा। लेकिन अगर माँ चिंता, तनाव या डर में जी रही है, तो ये मानसिक बोझ शिशु की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।” उन्होंने मशहूर लेखक डॉ. थॉमस वर्नी की रिसर्च का ज़िक्र करते हुए कहा कि गर्भावस्था के दौरान माता-पिता का व्यवहार शिशु के जीन पर भी असर डालता है।
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इसे ‘एपीजेनिटिक बदलाव’ कहते हैं, जो आगे चलकर मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और डिप्रेशन जैसी बीमारियों की वजह बन सकता है। खास बात यह रही कि डॉ. बंसल ने भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का भी जिक्र किया, जिसमें गर्भवती महिलाओं के लिए व्यवहार, खानपान और दिनचर्या के नियम तय किए गए हैं। उन्होंने कहा, “हज़ारों साल पहले हमारे ऋषियों ने जो बातें बताईं, आज साइंस उन्हें साबित कर रहा है।”कार्यक्रम में डॉ. पवन पाराशर और डॉ. सुरभि गुप्ता की अहम भूमिका रही, जबकि संचालन डॉ. छवि किरण गुप्ता ने किया। मौके पर मेडिकल कॉलेज के तमाम विभागाध्यक्ष और करीब 200 डॉक्टर व मेडिकल छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहे।