प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि आरोपित नहीं जानता कि शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति का है तो विवाद होने पर एससी-एसटी एक्ट लागू नहीं होगा।
कोर्ट ने जालौन जिले में टवेरा कार की सामने से आल्टो कार में टक्कर मारना और गाली-गलौच, मार-पीट करने पर आईपीसी सहित एससी-एसटी एक्ट में दर्ज आपराधिक केस कार्यवाही रद्द कर दी है।
कोर्ट ने कहा कि विवेचना अधिकारी ने सतही तौर पर विवेचना की। किसी चश्मदीद गवाह का बयान नहीं लिया और यह पता करने की कोशिश नहीं की कि क्या घटना पर एससी-एसटी एक्ट का अपराध बनता भी है या नहीं और चार्जशीट दाखिल कर दी। किसी के चोटिल होने की रिपोर्ट नहीं है और पहचान परेड भी नहीं कराई गई। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा कि जब आरोपित को मालूम ही नहीं था कि शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति का है और अनजाने में अपमानित किया गया है तो एससी-एसटी एक्ट लागू नहीं होगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने नसीम खान, फहीम व पांच अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने 27 जून 19 को दाखिल चार्जशीट, संज्ञान आदेश व सम्मन रद्द कर दिया है।
मालूम हो कि शिकायतकर्ता आल्टो कार चला रहा था। याची व अन्य आरोपित टवेरा कार चला रहे थे। पेट्रोल पम्प पर याची ने अपनी कार से ऑल्टो में टक्कर मारी और मार-पीट की। जिस पर एफआईआर दर्ज की गई थी।