मेरठ। सम्मान और पुरस्कार प्राप्त करना किसी भी व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण होता है। यह न केवल उसकी मेहनत और समर्पण का परिणाम होता है, बल्कि यह उस व्यक्ति या विचार के प्रति सम्मान भी प्रकट करता है, जिसके नाम पर यह पुरस्कार दिया गया है। जब हमें किसी महान व्यक्ति के नाम से कोई मैडल या सम्मान मिलता है, तो इसका अर्थ केवल पुरस्कार प्राप्त करना नहीं होता, बल्कि उस व्यक्ति के आदर्शों, सिद्धांतों और जीवन से प्रेरणा लेना भी होता है। मैडल या पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में आपकी मेहनत, लगन और कड़ी मेहनत का प्रतीक होता है।
यह एक संकेत है कि आपने अपने क्षेत्र में कुछ असाधारण किया है। लेकिन अगर यह सम्मान किसी महान व्यक्ति के नाम से जुड़ा है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यह सम्मान उस महान व्यक्ति की विरासत और उनके कार्यों के प्रति एक श्रद्धांजलि के रूप में होता है, जो समाज और दुनिया के लिए प्रेरणादायक होते हैं। यह बात चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने वनस्पति विज्ञान के 47 वें अखिल भारतीय सम्मेलन ओर अंतरास्ट्रीय संगोष्ठी के समापन के अवसर पर कही।
कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने कहा कि जब हमें किसी व्यक्ति के नाम से पुरस्कार मिलता है, तो हमें यह समझना चाहिए कि उस व्यक्ति ने अपने जीवन में किन संघर्षों का सामना किया, कैसे उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त किया, और उनके आदर्श क्या थे। उस व्यक्ति की कहानी हमारे लिए प्रेरणा का एक अनमोल स्रोत बन जाती है। उनके संघर्ष, दृढ़ता और कड़ी मेहनत से हम यह सीख सकते हैं कि जीवन में कोई भी लक्ष्य अकल्पनीय नहीं होता, अगर हम पूरी लगन और निष्ठा के साथ अपने सपनों की ओर बढ़ते रहें। महान व्यक्तियों के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उनके आदर्श और मूल्य होते हैं। जैसे अगर किसी को महात्मा गांधी के नाम से कोई पुरस्कार मिलता है, तो उसे गांधीजी के सत्य, अहिंसा और सरलता के आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
इसी तरह अगर किसी को एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से सम्मान मिलता है, तो उसे उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण, उनकी सादगी और उनके युवाओं को प्रेरित करने वाले विचारों से सीखना चाहिए।उस व्यक्ति की जीवनी पढ़कर उसके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को जानें। उन्होंने कहा कि उनके संघर्ष, उनकी उपलब्धियाँ, और उनकी विचारधारा से जुड़ी बातें समझने की कोशिश करें।उन विचारों और सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करें, जिनके लिए वह व्यक्ति प्रसिद्ध था।
प्रेरणा लेने का मतलब केवल उनके विचारों को जानना ही नहीं, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना भी है। उनके आदर्शों के अनुसार अपने कार्यों और निर्णयों को संचालित करें, ताकि आप भी समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन ला सकें। उन्होंने कहा कि जिनके नाम से हमें मैडल या सम्मान मिलता है, उनसे प्रेरणा लेना हमारा कर्तव्य बनता है। यह न केवल हमारे लिए गर्व की बात है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक अवसर भी है।
हमें उनके आदर्शों और मूल्यों से प्रेरित होकर अपने जीवन को नई दिशा में ले जाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि हम भी उनके जैसी महानता की ओर कदम बढ़ा सकें। इस अवसर पर बॉटनी विभाग के संस्थापक प्रोफेसर वाई एस मूर्ति जी के शताब्दी वर्ष को भी याद किया गया। प्रो0 वाई एस मूर्ति जी के सहपाठी , उनके द्वारा पढ़ाए गए छात्र छात्राएं ने उनके संस्मरण सुनाए। प्रोफेसर वाई विमला ने उनके जीवन के विषय में प्रकाश डाला। इस दौरान अनेक प्रतिभागियों को सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर जितेंद्र सिंह कार्यक्रम सचिव सेशु लवानिया पूर्व कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र कुमार तनेजा प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह गौरव प्रोफेसर शैलेंद्र शर्मा प्रोफेसर बिंदु शर्मा डॉ लक्ष्मण नगर डीआर नितिन गर्ग डॉ दिनेश पवार डॉ अश्वनी शर्मा डॉ अजय शुक्ला डॉ अमरदीप सिंह डॉक्टर प्रदीप पवार डॉ अजय कुमार आदि मौजूद रहे।