प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अगर पति-पत्नी के बीच होने वाले छोटे-छोटे झगड़ों को तलाक कानूनों के तहत क्रूरता के रूप में देखा जाने लगेगा, तब तो कई विवाह टूट जाएंगे और हर कोई इस आधार पर तलाक मांगने लगेगा।
न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने गाजियाबाद के रोहित चतुर्वेदी की ओर से दाखिल तलाक वाली याचिका को सीधे अनुमति देने की बजाय अलग रह रहे एक विवाहित जोड़े को न्यायिक रूप से अलग होने का निर्देश देते हुए यह टिप्पणी की है।
याची ने पत्नी पर अवैध वैवाहिक सम्बंधों में लिप्त रहने के साथ क्रूरता करने के आरोप लगाए थे। कोर्ट ने हर छोटे झगड़े को क्रूरता मानने से इंकार कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अगर अदालतें छोटे-छोटे विवादों या घटनाओं को पहचानने और उन पर कार्रवाई करने और उन्हें क्रूरता के तत्वों की पूर्णता के रूप में पढ़ने लगे तो कई विवाह, जहां पक्षकार अच्छे सम्बंधों का आनंद नहीं ले रहे हैं, बिना किसी वास्तविक क्रूरता के ही खत्म हो सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी पर विवाहेत्तर सम्बंध रखने का आरोप लगाता है, तो आरोप को स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए और तलाक की कार्यवाही के दौरान इसे अदालत की कल्पना पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। एक पक्ष का दूसरे पक्ष के साथ अवैध सम्बंध होने का आरोप हर हाल में स्पष्ट होना चाहिए।
मामले में अदालत जिस जोड़े की सुनवाई कर रही थी, उसकी शादी 2013 में हुई थी। पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ने शादी निभाने से इंकार कर दिया और उसके माता-पिता से लड़ाई की। एक बार पत्नी ने पति को ही चोर कहकर उसका पीछा करने के लिए भीड़ को उकसाया। अदालत को बताया गया कि महिला ने अपने पति के खिलाफ दहेज का मामला भी दायर करवाया है। याचिका में कहा गया कि दम्पत्ति जुलाई 2014 तक साथ रहे लेकिन उसके बाद से साथ नहीं हे। बाद में, पति ने पत्नी द्वारा क्रूरता का हवाला देते हुए परिवार न्यायालय से तलाक मांगा। इस बीच पत्नी ने पति पर उसकी भाभी के साथ अवैध संबंध होने का आरोप लगाया। एक पारिवारिक अदालत द्वारा तलाक के लिए पति की याचिका को अनुमति देने से इंकार करने के बाद उसने हाईकोर्ट के समक्ष अपील दायर की थी।