Friday, November 22, 2024

बाल कथा: नल का महत्त्व

चीकू खरगोश, मीकू बंदर, डंकू सियार और गबदू गधा एक मैदान में फुटबाल खेल रहे थे। तभी गबदू गधे ने एक जोरदार किक मारी तो फुटबाल हवा में लहराता हुआ मैदान के बाहर जा गिरा और उछलता हुआ पानी से भरे एक गड्डे में चला गया।

फुटबाल लाने मीकू बंदर तेजी से दौड़ा मगर फुटबाल को गड्डे में पड़ा हुआ देखकर वह उल्टे पांव लौट आया।
वह बोला, फुटबाल फिर उसी कीचड़ और पानी से भरे गड्डे में चला गया है। मैं उस गड्डे में घुसकर फुटबाल नहीं निकालूंगा। जिसने किक मारी है, वही घुस कर फुटबॉल लाएगा।

किक तो गबदू गधे ने मारी थी। इसलिए उसे ही उस गड्डे में घुस कर फुटबॉल लाना पड़ा।
फुटबाल निकालने के चक्कर में वह कीचड़ में नहा गया। उसकी सूरत देखकर तीनों हो हो कर हंसने लगे।
इसी तरह एक बार जब मीकू ने जोरदार किक मारी तो फुटबाल फिर उसी गड्डे में जा गिरा। मीकू को ही गड्डे में घुस कर फुटबाल निकाल कर लाना पड़ा।

मैदान के किनारे एक पेड़ था। पेड़ के पास ही एक नल था। जो भी बच्चे मैदान में खेलते, अगर थक जाते तो सुस्ताने के लिए पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाते और प्यास लगती तो नल का ठंडा पानी पीते।
नल के पास ही एक गड्डा था जिसमें नल का पानी बह कर जमा हो जाता था।

चारों दोस्तों को उस गड्डे के कारण फुटबाल खेलते समय रोज परेशान होना पड़ता था। उनके कपड़े भी खराब हो जाते थे।
जिसकी भी किक से फुटबाल गड्डे में जा गिरता, फुटबाल उसी को बाहर निकाल कर लाना पड़ता था।
एक दिन गबदू गधे ने कहा, ‘या तो गड्डे को मिट्टी डालकर भर दो या वहां जो नल है, उसे बंद कर दो।’
‘गबदू ने फिर कहा, मेरे विचार से नल को ही बंद कर देना चाहिए।’

तीनों की बातें सुनकर चीकू कुछ सोच रहा था।
‘चीकू तुम क्या सोच रहे हो? तुम भी तो कुछ बोलो न’ तीनों एक साथ बोले।
चीकू बहुत समझदार था। कुछ भी करने या कहने से पहले वह अच्छी तरह सोच विचार कर लेता था।
कुछ देर सोचकर चीकू ने जवाब दिया, ‘यह ठीक है कि हम लोगों को उस गड्डे के कारण बहुत परेशानी होती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम नल को ही बंद कर दें। नल वहां होने से हमें पानी पीने दूर नहीं जाना पड़ता है।’
‘पानी तो हम नदी के किनारे भी जा कर पी सकते हैं।’

‘नदी यहां से कितनी दूर है, तुम्हें पता है?’ चीकू ने कहा, ‘वहां जाने में 15 मिनट लगते हैं।’
‘तो क्या हुआ। पानी पीने के लिए 15 मिनट चल नहीं सकते’। तीनों ने तर्क पेश किया।
इन लोगों को इस नल का महत्व तभी पता चलेगा जब इन्हें पानी पीने रोज नदी पर जाना पड़ेगा। यह सोचकर चीकू ने कहा, ‘नल को बंद करने के पहले एक बार फिर अच्छी तरह सोच लो।’
हमने सोच लिया है। हम नल को बंद कर देंगे। तीनों एक साथ बोले।

तीनों ने नल की टोंटी खोली  और पाइप में लकड़ी का टुकड़ा डालकर उसे बंद कर दिया।
अगले दिन खेलने के बाद चारों को प्यास लगी। तभी मीकू बंदर ने कहा, ‘चलो, नदी के किनारे पानी पीने चलते हैं।’
चीकू बोला, ‘तुम लोग जाओ, मैं घर से पानी की बोतल साथ लाया हूं’ इतना कहकर वह मैदान के किनारे रखे अपने बैग से बोतल निकाल कर पानी पीने लगा।

तीनों नदी की तरफ चल दिए।
इधर पानी पी कर चीकू सुस्ताने लगा। करीब 20 मिनट के बाद तीनों पानी पी कर लौटे। वे फिर खेलने लगे।
इस तरह तीनों को पानी पीने रोज नदी के किनारे जाना पड़ता था। आने जाने में वे थक जाते थे। उनसे ठीक से खेला नहीं जाता था।

एक दिन चारों खेल रहे थे कि तभी गबदू गधा बेहोश हो कर गिर पड़ा।
‘जल्दी से पानी लाओ,’ मीकू बंदर घबरा कर बोला, ‘इसके मुंह पर पानी के छींटे मारने से इसे होश आएगा।’
‘अरे चीकू, तुम्हारे पास तो पानी की बोतल है न,’ डंकू सियार ने कहा, ‘जल्दी से ले कर आओ।’

‘पानी तो पी कर मैंने खत्म कर दिया, ‘चीकू बोला, ‘खाली बोतल ले कर जाओ और नदी से पानी भर कर ले आओ।’
चीकू से बोतल लेकर डंकू नदी की तरफ दौड़ा। 15 मिनट बाद वह पानी लेकर लौटा। मीकू ने गबदू के मुंह पर छींटे मारे तो वह होश में आया।

‘आज अगर नल चालू होता तो पानी लाने नदी पर नहीं जाना पड़ता, ‘चीकू ने कहा, ‘डंकू को पानी लाने में अगर थोड़ी देर हो जाती तो गबदू की जान भी जा सकती थी।’
तीनों को लगा कि चीकू ठीक कहता है। नल का मैदान के किनारे होना बहुत जरूरी है।
‘चीकू, हमने फैसला किया है कि हम आज ही नल को फिर से चालू कर देंगे,’ मीकू बंदर ने कहा, ‘नल का यहां होना बहुत जरूरी है।’
– हेमंत कुमार यादव

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