सहारनपुर- उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के कस्बा देवबंद में जीटीरोड पर एसडीएम कोर्ट के सामने की 36 बीघा सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए प्रशासन गंभीर है।
इन्हीं प्रयासों के तहत जिलाधिकारी मनीष बंसल और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) रोहित सिंह सजवान ने रविवार को स्थलीय निरीक्षण कर स्थानीय अधिकारियों से जानकारी ली। वन विभाग के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि वन विभाग ने 15 मई 1975 को यह भूमि श्रीरामकृष्ण सेवा सदन कैंसर अस्पताल को 30 वर्ष के लिए लीज पर दी थी जिसकी अवधि 15 मई 2005 को पूरी हो गई थी। उसके बाद लीज की अवधि नहीं बढाई गई।
वन विभाग और प्रशासन के ढीले-ढाले रवैये के कारण उक्त भूमि पर दूसरे लोग काबिज है। प्रशासन और वन विभाग ने जब इस ओर ध्यान दिया तो दूसरे पक्ष ने कानूनी दांवपेंचों का सहारा लिया लेकिन कोर्ट में प्रभावी पैरवी के चलते कब्जाधारी पक्ष को कोई राहत नहीं मिली।
सरकारी वकील अजय त्यागी ने बताया कि जिस भूमि पर रामकृष्ण सेवा सदन कैंसर हाॅस्पिटल का कब्जा है उस जमीन के दो भाग है। एक भाग खेवट नंबर 1208/1 है। जिसमें एक हिस्से का रकबा 0.623 हेक्टेयर और दूसरे का रकबा 0.041 है। यानि कुल रकबा 0.664 हेक्टेयर है। यह जमीन 27 बीघा बैठती है। सेवा सदन के कब्जे में दूसरी भूमि पजावा की है। जिसके नंबर 2200 का रकबा सात बीघा पुख्ता और दूसरे नंबर 2201 का रकबा दो बीघा पुख्ता है। इन दो नंबरों की जमीन को चकबंदी विभाग देवबंद ने 25 अगस्त 1999 को श्रीरामकृष्ण सेवा सदन के नाम दर्ज कर दिया था। इसके खिलाफ सरकार ने एतराज जताया तो छह जुलाई 2004 को निगरानी खत्म कर दी गई। लेकिन सार्वजनिक अपील के तहत चकबंदी विभाग के सीओ धर्मदेव की कोर्ट इसकी सुनवाई कर जल्द निर्णय देने वाली है।
सीओ धर्मदेव ने आज कहा कि पूरा मामला उनके संज्ञान में है। जल्द ही इस पर निर्णय हो जाएगा।
वन विभाग की डीएफओ श्वेता सेन ने बताया कि उनकी जानकारी में आया है कि सेवा सदन की ओर से भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के परिवेश पोर्टल पर इस भूमि को लेने के लिए प्रस्ताव डाला हुआ है। जिस पर कोई निर्णय अभी तक नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि वह इस बहुमूल्य भूमि को जल्द ही कब्जा मुक्त कराने का काम करेंगी।
एसडीएम देवबंद अंकुर वर्मा, तहसीलदार देवबंद पुष्कर देव और अधिशासी अधिकारी नगर पालिका धीरेंद्र कुमार राय से जिलाधिकारी मनीष बंसल ने पूरी जानकारी ली और त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। सरकारी वकील अजय त्यागी के मुताबिक कब्जाई जगह का एक बडा हिस्सा यानि 27 बीघा सरकारी संपत्ति है। जिसे वर्ष 1973 के आसपास वन विभाग को वृक्षारोपण के लिए दिया गया था ,पर न जाने कैसे वन विभाग ने अपने अधिकारों का अतिक्रमण करते हुए इस भूमि को श्रीरामकृष्ण सेवा सदन कैंसर अस्पताल के लिए लीज पर दे दिया।
सामाजिक वानिकी प्रभाग सहारनपुर के प्रभागीय निदेशक द्वारा शासनादेश संख्या 1693/14-2-702 के अनुसार यह भूमि रामकृष्ण सेवा सदन को देने का निर्णय हुआ था। शुरू में इस भूमि की देखरेख स्वामी बोधानंद सरस्वती देखते थे उनके जाने के बाद स्वामी परस्वरूपानंद इस भूमि पर वर्षों से काबिज रहे। लीज की अवधि 15 मई 2005 को खत्म होने के बाद उसे बढवाने के प्रयास सफल नहीं हुए। कुछ वर्ष पूर्व उनका भी निधन हो गया है। प्रशासन इस भूमि का स्वामी है और अब उस पर कब्जा प्राप्त करने के प्रयासों में तेजी आई है।