महाकुम्भ नगर। महाकुंभ में संगम स्नान, गंगा स्नान, दान का विशेष महत्व है। इस अवसर पर मान्यता है कि गृहस्थ लोगों को शाही स्नान के बाद ही स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें पुण्य फलों की प्राप्ति होती हैं। महाकुम्भ में 10 जनवरी से कल्पवासियों के कल्पवास का श्री गणेश हो जाएगा।
महाकुम्भ मेले में साधु-संतों का विशेष स्थान है। इसलिए शाही स्नान में साधु-संतों के स्नान करने के बाद ही गृहस्थ लोगों को संगम ,गंगा नदी में स्नान करना चाहिए। संगम स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्घ्य देना चाहिए और उनका आशीर्वाद ले कर अपनी नित्य पूजा शुरु करनी चाहिए।
ज्योतिषाचार्य आचार्य पंडित राकेश तिवारी महाराज ने बताया कि महाकुंभ मेले में नागा साधुओं का स्नान सबसे पहले स्नान करने का अधिकार होता है। इसे ही शाही स्नान भी कहा जाता है।नागा साधुओं को भगवान शिव के परम भक्त माना जाता है और उनकी तपस्या व साधना के कारण इन्हें यह विशेष स्थान मिलता है। इन साधुओं के बाद ही गृहस्थों को स्नान करना चाहिए ।
उन्होंने बताया कि संगम में स्नान करने में गृहस्थ लोगों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि मन के मुताबिक डुबकी न लगाएं बल्कि विवाहित लोगों को महाकुंभ में कम से कम पांच बार डुबकी लगानी चाहिए। उन्होंने बताया कि हमारे शास्त्रों में कुंभ स्नान में कम से कम पांच बार डुबकी लगाना अनिवार्य माना गया है। इसके बाद अपने क्षमतानुसार गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न,धन और भोजन का दान करना चाहिए।