Saturday, May 11, 2024

मुज़फ्फरनगर में बीजेपी जिलाध्यक्ष ने अनुसूचित अध्यक्ष को दफ्तर से भगाया, जिला कार्यालय पर हुआ जमकर हंगामा

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मुज़फ्फरनगर। लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी के नये-नवेले जिलाध्यक्ष सुधीर सैनी विवादों में आ गये हैं। जिलाध्यक्ष बनने के चार दिन बाद ही पार्टी कार्यालय पर एक वरिष्ठ नेता के साथ उनकी जमकर तू-तू, मैं-मैं हो गई और काफी देर तक हंगामे की स्थिति बनी रही। उक्त भाजपा नेता ने जिलाध्यक्ष पर गाली गलौच व अभद्रता का आरोप लगाया है, जबकि जिलाध्यक्ष ने सभी आरोपों को निराधार बताया है।

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भाजपा के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष सुधीर सैनी गुरुवार को दोपहर के समय पार्टी कार्यालय पर एक बैठक ले रहे थे, जिसमें हाईकमान से आये एजेंडे के बारे में चर्चा की जा रही थी। हाईकमान की ओर से प्राप्त निर्देशों के अनुपालन में दलित बस्तियों में विशेष अभियान चलाया जाना तय हुआ, जिसका प्रभारी सुनील दर्शन को बनाया गया।

इसी दौरान भाजपा अनुसूचित मोर्चा के जिलाध्यक्ष व पूर्व सभासद राजकुमार सिद्धार्थ को भी सुनील दर्शन ने फोन कर पार्टी कार्यालय पर आने को कहा, लेकिन जब काफी देर तक राजकुमार सिद्धार्थ वहां नहीं पहुंचे, तो जिलाध्यक्ष सुधीर सैनी ने खुद राजकुमार सिद्धार्थ को फोन किया और सख्त लहजे में तुरंत पार्टी कार्यालय आने के निर्देश दिये।

आरोप है कि जिलाध्यक्ष ने राजकुमार सिद्धार्थ से तू-तड़ाक से बात की, जिस पर राजकुमार सिद्धार्थ भी गरमा गये और तुरंत पार्टी कार्यालय पहुंचते ही जिलाध्यक्ष सुधीर सैनी के लहजे पर नाराजगी जाहिर की। इसी दौरान वहां पर हंगामे की स्थिति बन गई और दोनों में काफी देर तक बहस चलती रही। वहां मौजूद भाजपा नेताओं ने किसी तरह बीच-बचाव कराया। इसके बाद राजकुमार सिद्धार्थ वहां से तमतमाते हुए वापस लौट गये और मीडिया के समक्ष अपनी भड़ास निकाली।

राजकुमार  सिद्धार्थ ने बताया कि सुधीर सैनी पहले से ही उनसे चिढ़ते हैं और पिछले कार्यकाल में भी सुधीर सैनी ने उनके साथ बदतमीजी की थी। गुरुवार को भी जब सुनील दर्शन व जिलाध्यक्ष सुधीर सैनी के फोन आये, तो वह अपनी बीमार भतीजी को देखने के लिये अस्पताल गये हुए थे, उसी समय सुनील दर्शन व सुधीर सैनी ने बेहद अभद्रता से फोन पर बात की और जब वह पार्टी कार्यालय पहुंचे, तो उन्होंने गलत लहजे में बात करने पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी, जिस पर जिलाध्यक्ष सुधीर सैनी ने उन्हें गेटआउट कह दिया।

राजकुमार सिद्धार्थ ने कहा कि मैं 25 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ा हुआ हूं, तीन बार सभासद भी रहा हूं और दो बार अनुसूचित मोर्चा का जिला अध्यक्ष भी रहा हूँ। मायावती चार बार मुख्यमंत्री रही तब भी मैं पार्टी छोड़कर नहीं भागा और मेरा मौहल्ला बहुजन समाज पार्टी का गढ़ रहा तब भी मेरी छत पर भारतीय जनता पार्टी का झंडा लगा रहा है और आज भी मैं पार्टी के प्रति वफादार हूं और हमेशा मैं पार्टी के प्रति वफादार रहूंगा।

उन्होंने कहा कि मेरी सगी भतीजी बीमार थी तो मुझे जिला अध्यक्ष ने कहा कि तुरंत कार्यालय पर आइये तो मैंने कहा कि मेरी सगी भतीजी बीमार है जिस वजह से मैं आ नहीं सकता, जिस पर वह कहने लगे कि तुम्हें पार्टी में रहना है या नहीं रहना है एवं काम करना है या नहीं करना है और कहा कि तुरंत आओ, मैंने कहा कि मेरी मजबूरी समझो लेकिन मैं तुरंत कार्यालय पर गया लेकिन इस दौरान सुधीर सैनी के पास कुछ ऐसे व्यक्ति वहां बैठे हुए थे जो पदों के लालच में थे, जो बसपा से आए हैं जैसे अर्चित मित्तल। उन्होंने भी वहां पर मेरे साथ दुर्व्यवहार किया क्योंकि वह उनके पास पद के चक्कर में बैठे हुए थे, वह कह रहे थे कि कार्यालय से गेट आउट हो जाओ।

राजकुमार ने कहा कि मैं उस समय का कार्यकर्ता हूं जब हमारी पार्टी सत्ता में नहीं थी और आज वह सत्ता में है तो मेरे साथ सुधीर सैनी द्वारा ऐसा व्यवहार किया गया है, हमारे जिला अध्यक्ष यशपाल पंवार भी रहे हैं उन्होंने कभी दलित का विरोध नहीं किया या दलित की खिलाफत नहीं की। देवव्रत त्यागी भी हमारे जिला अध्यक्ष रहे हैं तो उन्होंने भी कभी दलितों के विरुद्ध ऐसा काम नहीं किया और हमारे विजय शुक्ला अभी वर्तमान में जिलाध्यक्ष रहे हैं तो उनका भी कभी ऐसा व्यवहार नहीं देखा और पिछली बार भी यह जिला अध्यक्ष थे तो उस समय भी उन्होंने मेरे साथ ऐसा ही व्यवहार किया था।

सिद्धार्थ ने कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव हम जीतेंगे ही,जिसे भी पार्टी टिकट देगी,लेकिन थोड़ा संघर्ष करना पड़ेगा, दलित भाजपा को ही वोट देता है और आगे भी भाजपा को ही देगा लेकिन मैं यही चाहता हूं कि किसी सभ्य आदमी को जिला अध्यक्ष बनना चाहिए था जो दलित विरोधी ना हो क्योंकि इनका व्यवहार गांव में भी ऐसा ही था एवं इन्होंने गांव में भी दलितों पर मुकदमे बाजी की है तो इनका गांव में भी बहुत विरोध है और इन्होंने खतौली के अंदर दो फाड़ कर रखी है।

उन्होंने कहा कि ऐसे सुधीर सैनी को जिलाध्यक्ष बनाने का मतलब है कि कहीं ना कहीं पार्टी का नुकसान होगा, उन्होंने मुझे यहां तक कहा कि मैं तुझे हटाकर किसी दूसरे को बना दूंगा तो यह धमकी भी उन्होंने मुझको दी है और मैं एक बार और कहना चाहता हूं कि इन्होंने दलित को कहा एवं मोर्चे तो और भी है उन्हें तो कहने की कभी इनकी हिम्मत नहीं हुई, मैं सुधीर सैनी का विरोध कर रहा हूं पार्टी का विरोध नहीं कर रहा हूं एवं बस उनके व्यवहार का विरोध कर रहा हूँ।राजकुमार सिद्धार्थ का कहना है कि कार्यालय केवल जिलाध्यक्ष का नहीं है, वह सभी कार्यकर्ताओं का है।

इस मामले में जिलाध्यक्ष सुधीर सैनी का कहना है कि हाईकमान से दलित बस्तियों में कार्यक्रम रखने के निर्देश दिये गये थे, जिसका प्रभारी सुनील दर्शन को बनाया गया है और इसी कार्यक्रम को लेकर पहले सुनील दर्शन ने और फिर उन्होंने स्वयं राजकुमार  सिद्धार्थ को फोन किया, लेकिन राजकुमार  सिद्धार्थ ने पहले फोन पर और फिर पार्टी कार्यालय आकर अभद्रता की है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।

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