Tuesday, September 17, 2024

मुज़फ्फरनगर में पुलिस ने चोर पकडे, कबाड़ी भी, लाखों का माल अभी भी नहीं किया बरामद

खतौली। लाखों रुपयों के माल की चोरी हुई, चोर पकड़े भी गए, चोरों ने जिन कबाडिय़ों को माल बेचा, वो भी चिन्हित हो गए, फिर चोर पुलिस की हिरासत से छूट भी गए। इतना सब होने के बावजूद चोरी की वारदात का खुलासा होने के नाम पर पुलिस कार्यवाही शून्य है।

कस्बे के मोहल्ला शिवपुरी निवासी एक व्यक्ति की इलैक्ट्रिक सामान बेचने की दुकान जानसठ तिराहे के आस पास है। व्यापारी ने शिवपुरी स्थित अपने मकान के निचले हिस्से में गोदाम बना रखा है। व्यापारी के पास नौकरी करने वाले चार युवकों ने धीरे-धीरे गोदाम से लगभग चार लाख रुपयों का कॉपर का तार चोरी कर लिया। बीती 12 जुलाई की रात चोरी करते रंगे हाथ पकड़े जाने पर व्यापारी को गोदाम में सेंधमारी होने की जानकारी हुई। पीडि़त व्यापारी ने उसी रात थाने में नामजद तहरीर देकर कार्यवाही किए जाने की मांग पुलिस से की थी।

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

चर्चा है कि पुलिस ने चार में से तीन चोरों को हिरासत में लेकर थाने में लाकर बैठा दिया था। पूछताछ में चोरों ने माल चुराकर कस्बे के जिन तीन कबाडिय़ों को बेचा उनके नाम पते पुलिस को बता दिए थे। चर्चा है कि पुलिस ने तीनों कबाडिय़ों को खंगालकर हिरासत में लिए गए तीनों चोरों को थाने से चलता कर दिया है। चर्चा है कि अब पुलिस द्वारा फरार चौथे चोर को पकड़कर नुकसान की भरपाई कराने का आश्वासन पीडि़त व्यापारी को दिया जा रहा है।

बताया गया कि पुलिस कार्यवाही के नाम पर अब तक जो कुछ हुआ है, उसकी पूरी जानकारी पीडि़त व्यापारी को भी है। लेकिन वो खाकी द्वारा नुकसान की शत प्रतिशत भरपाई कराने के आश्वासन पर आश्वस्त है। कुल मिलाकर चोरी की वारदात के एक अबूझ पहेली बनने के साथ ही कोतवाली पुलिस की कार्यप्रणाली को भी उजागर कर रही है। जबकि होना तो यह चाहिए था कि चोरी हुई, पीडि़त ने नामजद तहरीर दी, पुलिस चोरों को पकड़ती, चोरों से पूछताछ करके चोरी का माल खरीदने वालों को भी गिरफ्तार करती, वारदात का खुलासा करके चोरों को जेल भेज अपने गुडवर्क का गुणगान करती। लेकिन इतना झमेला करने में शायद फील गुड होने की गुंजाइश ना रहती।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,334FansLike
5,410FollowersFollow
107,418SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय