मुज़फ्फरनगर- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आवारा पशुओं की समस्या को लेकर लगातार गंभीर रहते हैं, सरकार करोड़ों रुपया इस समस्या के समाधान के लिए लगातार जारी करती है, लेकिन प्रदेश की अफसरशाही है कि मुख्यमंत्री के आदेशों का भी उस पर कोई असर नहीं होता है।
मुख्यमंत्री के आदेश पर प्रदेश के मुख्य सचिव ने 4 अप्रैल की रात्रि में एक आदेश जारी कर 5 से 7 अप्रैल तक आवारा पशुओं की समस्या का शत-प्रतिशत निदान करने के निर्देश दिए थे, जिसके लिए हर जिले में एक आईएएस अफसर नियुक्त किया था, लेकिन मुजफ्फरनगर में यह आदेश बेअसर रहा है और अभी भी आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर यूपी के मुख्य सचिव दुर्गाशुकर मिश्र ने 3 दिन पहले एक आदेश जारी किया था इसमें उन्होंने हर जिले के लिए एक नोडल अधिकारी के रूप में 75 आईएएस अफसरों की सूची जारी करते हुए प्रत्येक अधिकारी को एक जिले की जिम्मेदारी सौंपी थी, इसमें नोडल आईएएस अधिकारी को उससे संबद्ध जिले में सड़कों और खेतों का मुआयना कर इन्हें बेसहारा गाेवंश से मुक्ति दिलाने को कहा गया था जिससे पूरे प्रदेश में कहीं भी अन्ना जानवर घूमते न मिलें।
मिश्र द्वारा जारी आदेश में इन अधिकारियों को उन्हें सौंपे गए जिले के अन्ना पशुओं को सुरक्षित रुप से आश्रय स्थलों तक पहुंचाने के लिए 2 दिन की मोहलत दी गई थी, गत 4 अप्रैल को देर रात जारी किए गए इस आदेश के मुताबिक ये अधिकारी दल-बल के साथ 5 से 7 अप्रैल के बीच सड़कों पर उतरेंगे और गांव गांव जाकर देखेंगे कि कहीं अन्ना जानवर तो नहीं मंडरा रहे हैं।
सड़कों या खेतों पर बेसहारा गोवंश मिलने की स्थिति में उन्हें हर जिले में पहले से बनाए गए गोआश्रय स्थलों तक पहुंचाना होगा, साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आश्रय स्थलों में गाेवंश के भोजन, पानी और इलाज आदि सुविधाओं का पुख्ता इंतजाम है या नहीं।
सभी अधिकारियों को इन 2 दिनों में की गई कार्रवाई के बारे में लखनऊ स्थित पशुधन विभाग के मुख्यालय को रिपोर्ट भी सौपने को कहा गया है इसमें नोडल अधिकारी को सड़कों पर आवारा पशु मिलने पर इसकी वजह और उन्हें सुरक्षित आश्रय स्थल तक पहुंचाने के लिए की गई कार्रवाई का ब्योरा देना है।
साथ ही इन अधिकारियों को रिपोर्ट में यह भी बताने के लिए गया है कि उनके द्वारा जांचे गए आश्रय स्थलों से कितने गोवंश को पालन पोषण हेतु गोपालकों को सौंपा गया है, गौशालाओं में पशुओं की देखभाल के लिए किए गए जरूरी इंतजामाें का क्या हाल है, उन्हें आवंटित राशि समय पर मिल रही है या नहीं और जिन गोपालकों ने आश्रय स्थलों से गोवंश को पालने के लिए गोद लिया है, उन्हें 900 रुपये मासिक भत्ता का समय से भुगतान हो रहा है या नहीं।
मुज़फ्फरनगर में भी आईएएस अफसर सतीश पाल को नियुक्त किया गया था वे कुछ जगह ज़िले में घूमे भी लेकिन आवारा पशु सड़कों पर मिलने के बाद अफसरों को कह-सुनकर ही शायद वापस चले गए है क्योंकि उनके जाने के बाद भी आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे है।
मोरना क्षेत्र में सडकों पर अभी भी भारी संख्या में गौवंश भटक रहा है, जिसकी सुध लेने को प्रशासन तैयार नही है। आवारा गौवंश खेतों में जाकर किसान की फसलों को बर्बाद कर रहा है। साथ ही कूडे के ढेरों पर गौवंश को भटकता देख ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। देखे फोटो-
मोरना ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम छछरौली में भारी संख्या में गौवंश इधर-उधर भटक रहा है। ग्रामीणों के अनुसार दर्जनों बछडे खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा मोरना चीनी मिल के पास भारी संख्या में गौवंश सडक किनारे भटक रहा है, जो अक्सर खेतों में घुसकर फसलों का नुकसान कर रहा है, जिससे किसान गौवंश को अपने खेतों से खदेड रहे हैं। भूख प्यासे बछडे कूडे के ढेरों पर भी भटक रहे हैं।
इसके अलावा मोरना क्षेत्र के गांवों में दर्जनों गौवंश भूखे प्यासे इधर-उधर भटकते रहते हैं। वहीं शुकतीर्थ मार्ग पर शुक्रतारी गौशाला व मोरना में भी गौशाला की स्थापना की गई है, लेकिन इसके बावजूद आवारा गौवंश इधर-उधर भटक रहा है, जिसकी सुध प्रशासन लेने को तैयार नहीं है तथा किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड रहा है।