Tuesday, July 2, 2024

नोएडा में पुलिस अधिकारियों ने लोटस बुलेवार्ड सोसायटी में की बैठक, निवासियों को नये कानून की दी जानकारी

नोएडा। भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव लाते हुए तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) सोमवार से देश में लागू हो गया है। नये कानून की जानकारी देने के मकसद से पुलिस कमिश्नर गौतमबुद्ध नगर में तैनात पुलिस अधिकारी सेक्टर की सोसायटियों एवं आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों एवं निवासियों के साथ बैठकें कर के उन्हें नए कानून के बारे में विस्तार से जानकारी देने के साथ-साथ पूछे गए सवालों का सहजता से जवाब दिया।

 

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आज पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के निर्देश पर डीसीपी नोएडा रामबदन सिंह के नेतृत्व में एसीपी नोएडा-वन प्रवीण कुमार द्वारा थाना सेक्टर-39 क्षेत्र के सेक्टर-100 स्थित लोटस बुलेवार्ड सोसायटी के पदाधिकारियों के साथ गोष्ठी आयोजित कर सभी को तीनों नये कानूनों के संबंध में जागरूक किया। पुलिस अधिकारियों ने तीनों नये कानूनों (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023) में किये गए महत्वपूर्ण बदलावांे के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया गया कि नये कानून आमजन की सुविधा के लिए बनाये गये हैं। तीनों नये कानूनों की मदद से पीड़ितों को त्वरित न्याय मिलेगा व विवेचना का शीघ्र व गुणवत्तापूर्ण निस्तारण किया जायेगा।

 

बता दें कि नई संहिता में आईपीसी की 175 मौजूदा प्रावधानों में बदलाव किया गया है और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। इसमें 358 धाराएं हैं। पुरानी आईपीसी में 511 धाराएं थी। नए कानून में राजद्रोह को खत्म कर देशद्रोह शामिल किया गया है। इसकी धारा 150 भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से संबंधित है।

 

सीआरपीसी के 9 प्रावधान खत्म किए गए हैं। 107 प्रावधानों में बदलाव के साथ 9 नए प्रावधान पेश किए गए हैं। कुल 531 धाराओं हैं, पुरानी सीआरपीसी में 484 धाराएं थी। उन्होंने बताया कि मौजूदा साक्ष्य अधिनियम के पांच मौजूदा प्रावधान निरस्त किए गए हैं। 23 प्रावधानों में बदलाव और एक नया प्रावधान जोड़ा गया है। कुल 170 धाराएं नए साक्ष्य कानून में है, जो की पुरानी में 167 थी।

 

 

वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कानून ज्यादा संवेदनशील  बनाए गए हैं। पीड़िता जहां चाहेगी पुलिस को वहां बयान दर्ज करना होगा। दुष्कर्म के मामले में न्यूनतम 10 साल से लेकर अधिकतम फांसी तक की सजा होगी। सामूहिक दुष्कर्म में 20 साल से फांसी तक का प्रावधान है।

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