नई दिल्ली। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मुख्यमंत्री के चेहरे की तलाश कर रहे भाजपा आलाकमान ने अब इन तीनों राज्यों में गुजरात की तर्ज पर बड़े बदलाव करने का मूड बना लिया है।
बताया जा रहा है कि मंगलवार रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक आवास (7, लोक कल्याण मार्ग) पर प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की 4 घंटे से भी अधिक समय तक चली मैराथन बैठक में तय कर लिया गया है कि अब इन तीनों राज्यों में ऐसे युवा नेताओं को मुख्यमंत्री पद पर बैठाया जाए, जो आने वाले 20-25 वर्षों तक पार्टी का चेहरा बने रहें। यानी गुजरात की तर्ज पर अब इन तीनों राज्यों में भविष्य को ध्यान में रखते हुए युवा एवं नई भाजपा का गठन किया जाए, जो संगठन से लेकर सरकार तक में साफ-साफ नजर आए।
यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी, शाह और नड्डा की बैठक में यह भी तय किया गया कि इन तीनों राज्यों में विधानसभा का चुनाव जीतकर आने वाले सभी सांसद और केंद्रीय मंत्री अपने पदों से इस्तीफा देकर विधान सभा सदस्य बने रहें और अपने-अपने राज्यों में सक्रिय रहकर काम करें।
पार्टी आलाकमान के निर्देश को मानते हुए मध्य प्रदेश में विधायक का चुनाव जीतने वाले नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, राव उदय प्रताप, राकेश सिंह और रीति पाठक ने बुधवार को लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। तोमर और पटेल मोदी सरकार में मंत्री हैं और जल्द ही ये मंत्री पद से भी इस्तीफा दे देंगे। इन दोनों नेताओं को मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में भी गिना जा रहा है।
वहीं, पार्टी आलाकमान के निर्देश पर राजस्थान में विधायक का चुनाव जीतने वाले राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और दीया कुमारी ने भी लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इन दोनों नेताओं के अलावा राजस्थान में विधायक का चुनाव जीतने वाले किरोड़ी लाल मीणा ने भी राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है। छत्तीसगढ़ में विधायक का चुनाव जीतने वाले प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और गोमती साय ने भी लोकसभा की सदस्यता से बुधवार को इस्तीफा दे दिया है। दो सांसद महंत बालकनाथ और रेणुका सिंह इस्तीफा देने नहीं पहुंच पाएं। लेकिन, ये दोनों भी संसद सदस्यता से इस्तीफा देंगे।
नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद पटेल की तरह रेणुका सिंह भी केंद्रीय मंत्री हैं और ये भी सांसद और मंत्रिपद दोनों से ही इस्तीफा देंगी। आपको बता दें कि भाजपा ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान, तीनों राज्यों के विधान सभा चुनाव में अपने 21 सांसदों को उम्मीदवार बनाया था, जिनमें से ये 12 सांसद चुनाव जीते थे।
तीनों राज्यों में नए चेहरों की बात करें तो मध्य प्रदेश में सबसे आगे ज्योतिरादित्य सिंधिया नजर आते हैं। अगर पार्टी शिवराज सिंह चौहान को रिपीट नहीं करती है तो फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय में किसी एक को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
पहले कमलनाथ की सरकार गिराकर फिर से भाजपा की सरकार बनवाने और इस बार के विधानसभा चुनाव की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी छवि और लोकप्रियता के कारण इस रेस में फिलहाल सबसे आगे नजर आ रहे हैं।
वहीं, राजस्थान की बात करें तो वसुंधरा राजे सिंधिया की बजाय इस बार पार्टी यहां भी नए चेहरे को आगे करने का मन बना चुकी है। वसुंधरा की तरह राजघराने से ताल्लुक रखने वाली दीया कुमारी पर भी पार्टी दांव लगा सकती है, जो महिला भी हैं और युवा चेहरा भी हैं। दीया कुमारी के अलावा हिंदू नेता की छवि वाले और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह नाथ संप्रदाय से ताल्लुक रखने वाले महंत बालकनाथ पर भी भाजपा दांव खेल सकती है।
इन दोनों नेताओं के अलावा केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, किरोड़ी लाल मीणा, ओम माथुर और राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी भी सीएम की रेस में बने हुए हैं।
छत्तीसगढ़ की बात करें तो पार्टी आलाकमान राज्य के आदिवासी चेहरों केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय या ओबीसी नेता एवं वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के अलावा आईएएस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने वाले ओपी चौधरी में से किसी एक नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है।
हालांकि, पार्टी सूत्रों की माने तो, आलाकमान इन तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री के साथ-साथ उपमुख्यमंत्री बनाने का भी मूड बना चुका है। बताया जा रहा है कि पार्टी जल्द ही भाजपा पर्यवेक्षकों का नाम तय कर भोपाल, रायपुर और जयपुर भेजेगी, जहां पर्यवेक्षक विधायक दल की बैठक में विधायकों से विचार-विमर्श कर आलाकमान को विधायकों की राय से अवगत कराएंगे और भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में अंतिम मुहर लगने के बाद पार्टी तीनों राज्यों में अपने मुख्यमंत्रियों के नाम का ऐलान कर देगी।