मुज़फ्फरनगर। देश की पहली ‘काऊ सेंचुरी’ यानी गौ-अभ्यारण्य का आज भव्य लोकार्पण मुज़फ्फरनगर के पुरकाजी विधानसभा क्षेत्र के तुगलकपुर कमहेड़ा गांव में किया गया। 63 एकड़ क्षेत्र में फैली इस अभिनव परियोजना में लगभग 5000 निराश्रित गोवंशों के संरक्षण और देखभाल की व्यवस्था की गई है। यह पहल गोसेवा के साथ-साथ ग्रामीण विकास और पशुपालन को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
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लोकार्पण समारोह में केंद्रीय राज्य पशुपालन मंत्री एस.पी. सिंह बघेल, उत्तर प्रदेश सरकार के पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह, कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार, राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल सहित कई गणमान्य अतिथि शामिल हुए। इस परियोजना की आधारशिला पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने रखी थी, जिनके प्रयासों से यह सेंचुरी आकार ले सकी।
इस मौके पर कृत्रिम गर्भाधान केंद्र और कृषक प्रशिक्षण केंद्र का भी भूमि पूजन किया गया। इस पूरी परियोजना पर अब तक लगभग 41 करोड़ रुपये की लागत आई है। वहीं, 20 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण प्रस्तावित है, जहां बेरोजगार युवाओं और डेयरी फार्मिंग में रुचि रखने वालों को तीन महीने की मुफ्त ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें रहना-खाना भारत सरकार वहन करेगी और ट्रेनिंग का संचालन नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा किया जाएगा।
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डॉ. संजीव बालियान ने बताया कि यह काऊ सेंचुरी देश में अपनी तरह की पहली पहल है, जिसे जनता के सहयोग से गोवर्धन सेवा समिति द्वारा संचालित किया जा रहा है। समिति में लगभग 60 सदस्य शामिल हैं, जो स्वयंसेवा भाव से इसे चला रहे हैं। सेंचुरी में गोबर से सीएनजी, जैविक खाद, और अन्य उपयोगी उत्पाद तैयार करने के प्रयोग भी किए जा रहे हैं। यहां 12 शेडों में फिलहाल 3000 गोवंश रखे गए हैं, जबकि क्षमता 5000 की है।
केंद्रीय राज्य मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह भारत की नंबर एक काऊ सेंचुरी है। उन्होंने बताया कि यहां 138 गर्भधारण योग्य गायों की पहचान की गई है, जिनका कृत्रिम गर्भाधान “डेट सॉर्टेड सीमेन” तकनीक से किया जाएगा, जिससे 90 प्रतिशत तक बछिया पैदा होने की संभावना है। इससे उन्नत नस्ल की गायें जैसे साहिवाल, थारपारकर और गीर गायों की संख्या बढ़ेगी, जिससे दूध उत्पादन में भी वृद्धि होगी।
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बघेल ने कहा कि गोवंश से निकले गोबर और गोमूत्र का वैज्ञानिक उपयोग देश में नया परिवर्तन ला सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारतीय संस्कृति में गाय को पूजनीय माना गया है और अब वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी उसका महत्व बढ़ रहा है।
राजनीतिक संदर्भों में बात करते हुए बघेल ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ पार्टियाँ तुष्टिकरण की राजनीति कर रही हैं और देश के विरुद्ध बयानबाजी कर रही हैं, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता विदेशों में भी भारत की संस्कृति और परंपरा का सम्मान बढ़ाते थे।
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उन्होंने कहा कि किसानों की आय तब तक दोगुनी नहीं हो सकती जब तक खेती के साथ पशुपालन, मुर्गी पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, जैविक और प्राकृतिक खेती, फूलों और फलों की खेती जैसे विविध क्षेत्रों को अपनाया न जाए।
इस अवसर पर उपस्थित सभी अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने इस परियोजना की सराहना करते हुए इसे देशभर में मॉडल के रूप में स्थापित करने की बात कही। यह काऊ सेंचुरी न केवल गोसेवा का आदर्श केंद्र बनेगी, बल्कि रोजगार, प्रशिक्षण और पशुपालन के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी।