केवड़िया (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत एक राष्ट्र, एक नागरिक संहिता की ओर बढ़ रहा है जो एक “धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता” है।
मोदी ने गुजरात के केवड़िया में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “आज भारत एक राष्ट्र, एक नागरिक संहिता यानी एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की ओर बढ़ रहा है।”
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी उल्लेख किया, “हम अब एक राष्ट्र, एक चुनाव की दिशा में काम कर रहे हैं, जो भारत के लोकतंत्र को मजबूत करेगा, जो भारत के संसाधनों का इष्टतम परिणाम देगा और देश को एक विकसित भारत के सपने को पूरा करने में नई गति मिलेगी।”
कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने एकता की शपथ दिलाई और सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी 149वीं जयंती पर एकता नगर में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्ष भारत की एकता और अखंडता के लिए अभूतपूर्व उपलब्धियों से भरे हुए हैं और सरकार के हर कार्य और मिशन में राष्ट्रीय एकता के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई देती है।
उन्होंने कहा, “सच्चे भारतीयों के रूप में, यह हमारा कर्तव्य है कि हम उत्साह और ऊर्जा के साथ राष्ट्रीय एकता की दिशा में हर प्रयास का जश्न मनाएं, नए संकल्पों, आशाओं और उत्साह को मजबूत करें।”
मोदी ने कहा कि भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देकर सरकार ने एकता के बंधन को मजबूत किया है, नई शिक्षा नीति एक ज्वलंत उदाहरण है, जिसे राष्ट्र ने गर्व से अपनाया है।
उन्होंने यह भी कहा कि संविधान का नाम जपने वालों ने इसका बहुत अपमान किया है। उन्होंने कहा कि “इसका कारण जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की दीवार थी। धारा 370 को हमेशा के लिए दफन कर दिया गया है। इस विधानसभा चुनाव में पहली बार बिना भेदभाव के मतदान हुआ।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “पहली बार वहां के मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान की शपथ ली है। इस दृश्य से भारतीय संविधान निर्माताओं को बहुत संतुष्टि मिली होगी।”
मोदी ने नक्सलवाद को एक ‘भयानक बीमारी’ करार दिया जिसे उखाड़कर फेंक दिया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “आपको यह समझना चाहिए कि एक समय में नेपाल के पशुपतिनाथ से भारत में तिरूपति तक एक लाल गलियारा मौजूद था। मुझे यह कहते हुए खुशी महसूस हो रही है कि पिछले 10 वर्षों के अथक प्रयासों के कारण, नक्सलवाद अब भारत में अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है।”